चुसूल दिवस पर ब्रिगेडियन बाघसिंह को याद किया

Missed Brigadier Bagsingh on Chusul Day
चुसूल हवाई पट्टी पर तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू का स्वागत करते कर्नल (बाद में ब्रिगेडियर) बाघसिंह तंवर।

बीकानेर के ब्रिगेडियन बाघसिंह ने खोजी थी सबसे ऊंची हवाई पट्टी चुसूल

बीकानेर, (samacharseva.in)। विश्व की सबसे ऊंची हवाई पट्टी चुसूल के खोज दिवस पर शनिवार को बीकानेर के जसवंत निवास में समारोह का आयोजन किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि जगमाल सिंह राठौड़ ने कहा कि राष्‍ट्र को समर्पित इस सबसे ऊंची हवाई पट्टी पाने की देन बीकानेर के  लाल  ब्रिगेडियर बाघसिंह को ही जाती है।

Missed Brigadier Bagsingh on Chusul Day

गौरव सेनानी एसोसिएशन, स्वामी कृष्णानंद फाउण्डेशन एवं ब्रिगेडियर बाघ सिंह स्मृति संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस समारोह के संयोजक ठाकुर महावीर सिंह तंवर दाउदसर ने बताया कि आज का दिन भारत सहित बीकानेर नगर के लिए अति महत्वपूर्ण है। इसके कारण ही बीकानेर एवं ब्रिगेडियर बाघ सिंह का नाम सदैव इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगा।

कार्यकम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद जानकी नारायण श्रीमाली ने कहा कि बीकानेर नगर ने देश को अनेक रत्न दिये हैं जिसमें एक थे ब्रिगेडियर बाघ सिंह तंवर। विशिष्ट अतिथि साहित्यकार भंवर पृथ्वीराज रतनू ने कहा कि ब्रिगेडियर बाघ सिंह शिव के अनन्य उपासक थे ओर उनकी कृपा से ही इस एयर फील्ड की खोज एवं निर्माण बाघ सिंह ने किया। विशिष्ट अतिथि कर्नल हेमसिंह शेखावत ने बाघ सिंह तंवर के जीवन चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डाला।

स्वागत भाषण एडवोकेट इंद्र सिंह तंवर ने दिया। समारोह में डॉ.चक्रवर्ती नारायण श्रीमाली, श्याम काट्जू, अखिलेश प्रताप सिंह, प्रदीप सिंह चौहान, अयुब खान कायमखानी, सुभाष मित्तल, सैमुअल हसन कादरी उपस्थित रहे। सुनील कुमार प्रजापत आभार जताया। संचालन हिंगलाज दान रतनू ने किया।

29 अगस्त 1952 को हुई थी चुसूल हवाई पट्टी की खोज

विश्व की सबसे ऊंची हवाई पट्टी चुसूल को आज ही के दिन 29 अगस्त 1952 को बीकानेर के ब्रिगेडियर बाघ सिंह ने खोजा था। लगभग 68 साल पहले 14 हजार 260 फीट ऊंचाई पर स्थित 3500 गज लम्बाई के इस विमानपत्तन को देश को समर्पित किया गया। प्रथम लैंडिंग भी ब्रिगेडियर बाघसिंह ने ही की थी।

जिस दिन यह खोज की गयी उस समय तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरु, इंदिरा गांधी, शेख अब्दुल्ला, सरदार बलदेव और एयर मार्शल एस. मुखर्जी भी इस हवाई पट्टी पर पहुंचे थे।