मनुष्य जीवन के लिये नियमों पर चलना जरूरी : आचार्य कृष्णानंद
एमजीएस विवि में गुरू जम्भेश्वर जी पर राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न
बीकानेर (समाचार सेवा) । मनुष्य जीवन के लिये नियमों पर चलना जरूरी : आचार्यय कृष्णानंद। स्वामी आचार्य कृष्णानंद ने कहा कि मनुष्य जीवन के लिये कुछ नियमों को अपनाने की आवश्यकता होती है जो कि बिश्नोई समाज में देखने को मिलती है। आचार्यश्री शनिवार को एमजीएस विवि परिसर में महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय एवं जाम्भाणी साहित्य अकादमी की ओर से गुरु जम्भेश्वरजी पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने शुभ कार्यों से पूर्व हवन कराये जाने की महत्ता बताते हुए कहा कि हवन के कण कण में एक विशेष शक्ति होती है। आचार्यश्री ने पानी, शील और संतोष के सिद्धान्त को अपनाने पर बल दिया।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि उच्च न्यायालय जोधपुर के न्यायाधीश विजय बिश्नोई ने कहा कि गुरु जांभोजी के सिद्धान्तों की पालना से ही सही अर्थों में पर्यावरण संरक्षण हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि मनुष्य को गुरू जांभोजी द्वारा दिये गये सिद्धांतो का पालन करना चाहिये। बिश्नोई ने कहा कि आज दुनिया भर में जांभोजी के सिद्धान्तों पर अनुसरण किया जा रहा है जिससे आज पर्यावरण संरक्षण में भारी सफलता मिली है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एमजीएस विवि के कुलपति भगीरथ सिंह ने कहा कि विवि ऐसे आयोजनों के माध्यम से समाज को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना चाहता है। उन्होनें बिश्नोई समाज से विश्वविद्यालय परिसर में पेड़ लगाने की अपील की। साथ ही उन्होने सदन से नशामुक्ति का संकल्प भी दिलवाया।
समारोह के विशिष्ट अतिथि अलवर के अतिरिक्त पुलिस अधिक्षक देवेन्द्र कुमार बिश्नोई ने बिश्नोई समाज की उपलब्धियों एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति योगदान के बारे में सदन को अवगत कराया। इससे पूर्व अतिथियों ने कार्यक्रम के प्रारम्भ में गुरू जम्भेश्वर की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्जवलित कर राष्ट्रीय संगोष्ठी उद्घाटन किया। संचालन डॉ. इन्द्रा बिश्नोई ने किया। संगोष्ठी निदेशक प्रो. एस. के. अग्रवाल ने विषय प्रवर्तन किया। डॉ. अनिला पुरोहित ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
पर्यावरण संरक्षण के लिये ऐसे आयोजन आवश्यक : सोमगिरिजी
एमजीएस विवि परिसर में शनिवार को गुरु जम्भेश्वरजी पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र के मुख्य अतिथि शिवबाड़ी के महन्त संवित सोमगिरी जी महाराज ने कहा कि वर्तमान समय में पर्यावरण संरक्षण के लिये राष्टÑीय संगोष्ठी जैसे आयोजन किए जाने बेहद आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण ठीक होगा तो सबकुछ ठीक हो जाएगा। समारोह में विशिष्ट अतिथि व्यवसायी राजाराम धारणिया ने भी विचार रखे। समापन सत्र का संचालन डॉ. बनवारीलाल साहू ने किया। इस सत्र में डॉ. सरस्वती बिश्नोई, डॉ. सतीश कौशिक, डॉ. भंवर बिश्नोई, डॉ. भगवानाराम बिश्नोई, बीरबल धारणिया, बलवन्त बिश्नोई, ओमप्रकाश बिश्नोई, सोहनलाल बिश्नोई, रामस्वरूप धारणिया, डॉ. राजेन्द्र पुरोहित, डॉ. प्रशान्त बिस्सा, डॉ. पंकज जैन आदि उपस्थित रहे।
संगोष्ठी में हुए दो तकनीकी सत्र
राष्टÑीय संगोष्ठी के तहत उद्घाटन सत्र के पश्चात दो तकनीकी सत्र आयोजित हुए। इनमें नई दिल्ली के प्रो. कृष्ण कुमार कौशिक, बीकानेर के प्रो. अनिल छंगाणी, डॉ. कृष्णलाल विश्नोई, डूंगर कॉलेज की डॉ. प्रकाश अमरावत, डॉ. नन्दिता सिंघवी, जयपुर के डॉ. जगदीश गिरी, आरजेएस पवन बिश्नोई तथा डॉ. ओम प्रकाश भादू ने पत्र वाचन किया। तकनीकी सत्रों का संचालन डॉ. सीमा शर्मा व डॉ. सुरेन्द्र खीचड़ ने किया।
विवि परिसर में लगायेंगे 1100 पेड़
गुरु जम्भेश्वर पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम में व्यवसायी राजाराम धारणिया ने एमजीएस विवि परिसर में 1 हजार पेड़ तथा जगदीश धारिणयां ने 1 सौ पेड़ लगाने की घोषणा की। व्यवसायी राजाराम धारणिया ने पर्यावरण संरक्षण के लिये समस्त विश्वविद्यालय परिसर को हरा भरा बनाने में पूर्ण सहयोग देने की भी घोषणा की।