चर्चा में रेल मुखिया का कला प्रेम
पंचनामा : उषा जोशी
चर्चा में रेल मुखिया का कला प्रेम , रेल जांगळ प्रदेश के रेल विभाग के मुखिया अपने रंगीन मिजाज को लेकर इन दिनों बड़ी चर्चा बटोर रहे हैं।
इन बड़े साहब की कोठी भी रंगीनियों में डूबी हुई ही रहती है। शहर की चमक दमक संस्कृति से प्रभावित महिलाओं को रेल मुखिया की रंगीनमिजाजी रास आ रही है।
साहब का समय इसीलिये ऑफिस में कम और ठुमक-ठुमक कार्यक्रमों में ज्यादा व्यतीत होता है।
आज कल तो शहर का ऐसा कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होता जिसमें रेल मुखिया की उपस्थिति को नजरअंदाज कर दिया जाए क्योंकि इन कार्यक्रमों के लिए साहब भी अपना दिल खोल देते हैं।
साहब की कोठी पर मेमसाहब के कार्यक्रम में बाहर से भी ठुमक ठुमक के कलाकार आते रहे हैं।
साहब के मिजाज को समझते हुए कई संगठनों ने तो अपने स्थायी मुख्य अतिथि भी इनको बना लिया है।
रेल का ऑडिटोरियम हो या प्राइवेट कार्यक्रम सभी का साहब भरपूर आनंद लेते हैं।
रंगकर्मियों ने काटा कलक्टर का सीन
रंगकर्मियों ने ऐसा नाटक खेला कि उसमें से यूआईटी अध्यक्ष व कलक्टर की भूमिका ही गायब कर दी।
इस पर कलक्टर भी चक्कर खा गए। शहर में प्राइवेट संस्था की ओर से आयोजित पांच दिवसीय नाट्य समारोह में यूआईटी को मीडिया पार्टनर बनाया गया था।
इसके लिए निचले अधिकारियों ने बॉस को ही अंधेरे में रखकर प्रचार पर खूब रुपया लुटाया। कार्यक्रम जिला लेवल का भले ही रहा हो लेकिन प्रचार राज्यस्तर का किया गया। कलक्टर साहब को भी इस बात की जानकारी मीडिया में हुए प्रचार को देखकर ही लगी तो वे हैरत में रह गए।
पता लगाया तो समझ में आया कि विज्ञापन जारी करने बाबुओं ने ही अपने स्तर पर फाइल चलाकर सेटिंग कर ली।
बाद में साहब पहले सचिव पर फिर विज्ञापन जारी करने वाले पर गरजे लेकिन जो बाबुओ करना था उन्होंने कर दिया।
कॉमेडी शो विद डीजीपी
राज्य पुलिस के मुखिया गत दिनों जांगळ प्रदेश पहुंचे। अपने अधीनस्थों के साथ संपर्क सभा की तो पूरी सभा कॉमेडी शो विद डीजीपी का रूप ले चुकी थी।
बड़े साहब सवाल कुछ पूछे, उनको जवाब कुछ ओर मिले। वास्तव में जांगळ देश की खाकी को हांकने वालों ने डीजीपी साबह के सामने बोलने वालों की सूची बनाई थी, और उन्हें कुछ जवाब रटाये गए।
डीजीपी साहब ने वो प्रश्न ही नहीं पूछे जिनके जवाब रटाये गए थे। ऐसे में बड़े साहब कुछ प्रश्न करे और जवाब कुछ और मिलने लगे तो हंसी का फ्व्वारा तो फूटना ही था।
इस बीच एक सीओ साहब ने अपने कारनामें सुनाये तो बडेÞ साहब ने उनके बताये कार्यों के कागजात मंगा लिये, कागजों में साहब की होशियारी चौड़े आ गई।
कई आला खाकीधारी तो बड़े साहब के सवालों का जवाब तक नहीं दे पाये।
एक सीओ साहब तो बड़े साहब की प्रेस कान्फ्रेस के दौरान कलमकारों की हाजिरी बजाते नजर आये ताकि कोई कलमकार उनके वायरल ऑडियो का मामला ना खोल दें।
चौबे जी छब्बे जी बनने गए दूबे जी बने
बिना एफआईआर दर्ज किए तीन आरोपियों को पकड़ने गए कोटगेट थाने के एक एएसआई के साथ बुरा हुआ।
मामला होली पर एक बच्चे को निर्वस्त्र करने का था, उसकी शिकायत आने पर आरोपियों को धमकाने गोगागेट क्षेत्र में पहुंचे एएसआई को लोगों ने पीट दिया।
परिजनों ने आरोपियों को तो भगा दिया लेकिन एएसआई को थपड़ जड़ दिया। पिटकर थाने आये एएसआई ने इंचार्ज को बताया तो तुरत फुरत में जाब्ता भेजा गया और कहा कि उसके घरवालों को पकड़ लाओ और शांति भंग में बंद कर दो।
पुलिस मौके पर गई तो डंडे लेकर पुलिस भाग रही थी और नायक मौहल्ले वाले पत्थर लेकर भाग रहे थे। मामला एसपी के पास पहुंचा तो पता चला कि एफआईआर तो दर्ज ही नहीं थी।
एसपी ने डांटा और कहा कि अब मीडिया को कौन झेलेगा। इस पर सीआई ने कहा मीडिया को मैं संभाल लूंगा और फिर हुए फोन खबर रुकवाने के लिए।
इसमें सफल भी हो गए लेकिन बात वायरल हो गई।
हाथ के राज में मजे ले रहा फूल
ताजा किस्सा नयाशहर थाने का है जहां की पुलिस ने भाजपा कार्यकर्ताओं की शिकायत पर कुछ जुआरियों को छापा मारकर पकड़ लिया।
इनमें ज्यादातर जुआरी सत्ताधारी पार्टी के समर्थक थे। उन्होंने तुरंत अपने आका के यहां जाकर पुलिस के शिकंजे से छुड़वाने की अरदास की। आका के यहां से छोटे आका ने फोन भी गया लेकिन भगवा रंग में रंगे पुलिस अधिकारी ने मामला रफा दफा करने की बजाय कांग्रेसी जुआरियों को थाने बुलवा लिया और मामला दर्ज कर लिया।
जुआरी फिर पहुंचे आका के पास तो यही जवाब मिला कि आचार संहिता के कारण चुनाव तक झेलो थानेदार को फिर इसको देख लेंगे।
एक मारपीट के मामले में भी भगवा रंग वालों की सुनवाई तो हो गई लेकिन कांग्रेस के फोन को काट दिया।
अब खाकी अब बड़े साहब के निशाने पर है।
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