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खोदे पहाड़ बताये चूहे! ठाकुर तो गियो?

पंचनामा : उषा जोशी

खोदे पहाड़ बताये चूहे! ठाकुर तो गियो?

एक सप्ताह पहले तक खाकी महकमा अपने जिन साहब के गुणगान करते नहीं थक रहा था, उसी महकमे को अपने साहब के खिलाफ उड़ी अफवाहों से जुझने में कई पहाड़ खोदने पड़ गए। कलमकार भी साहब के पीछे कलम को लाठी बनाकर लगभग साहब के पीछे ही पड़ गए। ऐसे में महकमे ने कलमकारों को शांत करने के लिये अफवाहों के बने पहाड़ खोदने शुरू करने पड़ गए।

हालांकि अब तक जितने पहाड़ खोदे गए हैं उनका परिणाम पहले से तय परिणाम की तरह ही सामने आया है। बताया गया कि अब तक खोदे गए पहाड़ों के नीचे चुहे ही दबे हुए मिले हैं। कोई और बड़ा रहस्य नहीं मिला।

वहीं बड़े साहब के खिलाफ अफवाहों का बाजार गर्म हुआ तो पाटेबाजों को चर्चा का अच्छा विषय मिल गया। सब ने पूरे मसाले के साथ अपनी अपनी ओर से साहब के खिलाफ खोजी गई कहानियों को सुनाना शुरू कर दिया।

सुना है साहब के खिलाफ उड़ाई गई अफवाहों के कुछ पहाड़ अब भी खोदने बाकी है, शुभचिंतक दुआ कर रहे हैं कि उनमें भी चूहा ही निकलना बताया जाए जबकि चटखारे लेने वालों को सोचना है कि अबकी बार ठाकुर तो गियो।

बाबूजी धीरे चलना …

जांगळ देश के प्रशासन के एक बड़े सक्रिय अधिकारी की महिला फैन फोलोइंग इन दिनों अधिक बढ़ती दिखाई दे रही है। साहब अपने काम का कोई भी एक्शन लेते हैं तो उनकी महिला फैंस फोलोइंग और बढ़ जाती है।

सोशल मीडिया का जमाना है, ऐसे में कई महिला फैंस साहब से सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़ने की जुगत में लगी रहती हैं। इस माध्यम से साहब से जुड़ने से वंचित महिला फैंस सार्वजनिक कार्यक्रमों में पहुंचकर भी साहब के दर्शन का लाभ ले लेती हैं।

अब साहब अपनी बढ़ती महिला फैन्स फोलोइंग को किस प्रकार हैंडल करते हैं ये तो पता नहीं है मगर साहब को मेरी  नसीहत जरूर दे सकती हूं कि सर जी थोड़ा धीरे चलिये, संभल कर चलिये, इस राह में बड़े-बड़े धोखे हैं।

प्रभुजी थानेदार जी को मत हटने देना

सुना है बेट बॉल के खेल के दौर में शहर के एक थाने में सटोरियों, जुआरियों का बिजनेस जोरों पर चल रहा है। जुआ सट्टा करने वाले छोटे-बड़े सभी लोग क्षेत्र के मंदिरों में भगवान को अरदास करते हैं कि प्रभुजी इस बार सीजन के बीच में वर्तमान थानेदार मत बदलने देना। प्रसाद हम दुगना तिगुना बढ़ा देंगे।

उधर, महकमे के एक बड़े अधिकारी के खिलाफ अफवाहों का बाजार गर्म होने से क्षेत्र के कई और थानेदारों को भी राहत मिली है। ऐसे में सभी ने अपने अपने क्षेत्र के बिजनेस को ठीक-ठाक करने में ध्यान देना शुरू कर दिया है।

पर्दे में रहने दो, पर्दा ना उठाओ

जांगळ देश में जब भी कोई अधिकारी सक्रिय होकर काम करता है, लोग कहने लगते है कि साहब दोनों हाथों से माल कमा रहे हैं। मैं दावे से कह सकती हूं कि इन दिनों सक्रिय साहब वास्तव में शहर को कुछ देना चाहते हैं, वे अपनी तिजोरी नहीं भर रहे हैं।

साहब के खिलाफ ये सब बाते उनके चिढ़ने वाले अधिकारी और उनके मातहत मगर काम को अंजाम नहीं देने वाले अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा उड़ाई जा रही हैं।

उनका यह कहना तो एकदम ही गलत है कि साहब की पांचों उंगलिया घी में हैं अपना सर कड़ाई में डालने को साहब उतावले हैं।

वैसे आपकी यह बात भी सही है कि मेरे दावे से बटता क्या है?

दैनिक नवज्‍योति बीकानेर से साभार

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