जरा सामने तो आओ छलिये…
पंचनामा : उषा जोशी
* जरा सामने तो आओ छलिये…
पूगल रोड चौराहे पर माया के मोह में फंसी खाकीधारी मैडम ने एक ट्रक वाले से नो एंट्री में घुसने के सौ रुपये क्या ले लिये सारे लोग ही मैडम के पीछे पड़ गए हैं। बड़ा बवाल मचा दिया है।
उधर, मैडम की इस हरकत के वायरल हुए वीडियो को हजारों लोगों ने देख लिया मगर वीडियो बनाने वाला अब तक सामने नहीं आया है।
बताया जा रहा है कि वीडियो उसी ट्रक वाले ने बनाया है जिसने मैडम को रुपये दिये थे।
अब सारा खाकी महकमा जरा सामने तो आओ छलिये, गाना गा गा कर थक गया है मगर वीडियो बनाने वाला है कि सामने ही नहीं आ रहा है।
अब पता नहीं वह धरती में समा गया या उसे आसमान ने उसे निगल लिया कुछ पता नहीं।
खाकी विभाग इस दुविधा में है कि मैडम के खिलाफ कार्रवाई क्या करे। हालांकि वीडियो वायरल होने के बाद विभाग ने मैडम को कमाई वाले पाइंट से तो हटा दिया।
जांच भी शुरू कर दी गई है। अब कार्रवाई के नाम पर यही कहा जा रहा है कि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि रुपये किस बात के लिये दिये गए। किस बात वास्ते लिये गए।
चूकिं मामला खाकी परिवार से जुड़ा है ऐसे में साफ है कि इसकी जांच रॉकेट साइंस जैसे फार्मूले से ही होगी।
मैडम द्वारा लिये हुए रुपये ऊपर कहां तक जाते थे इसे ऐसे ही थोड़े ही बता दिया जाएगा।
यह भी जरूरी नहीं कि बताया ही जाए। सबके लिये यही सही है, इशारों को अगर समझो राज को राज रहने दो। समझ रहे हैं ना सिंघम!!!
* एक खाकीधारी बेचारा, खादीधारी का मारा
शहर नया भले ही हो गया हो, सोच पुरानी है। एक सत्ता में भागीधारी रखने वाले खादीधारी साहब को अपने राज में उनका हुकुम बजाने वाला थानेदार चाहिये था, मगर ऐसा हो नहीं सका।
एमएलए साहब दूसरे इलाके से अपने एक चहेते खाकीधारी को अपने इलाके में थानेदार बनाने के लिये लाये भी थे मगर आलाखाकीधारियों ने एमएलए साहब के लाये थानेदार पर भरोसा नहीं कर अपने काबिल खाकीधारी को शहर का एक प्रमुख थाना सौंप दिया।
बात आई गई हो जानी चाहिये थी मगर एमएलए साहब व उनके लोग बात पचा नहीं पा रहे हैं।
सुना है इससे थानेदारजी की मुसीबतें बढ़ रहीं है। थानेदारजी ने भी ईश्वर को अपनी बागडोर सौंपकर बेधड़क काम में जुटे हुए हैं।
सत्ता वाले खादीधारी की परेशानी यह भी है कि वे अपने चहेते खाकीधारी को किसी दूसरे थाने में भी फिट नहीं करवा पा रहे हैं।
देखते हैं इस मामले का पटाक्षेप कब और किस प्रकार होता है।
* चुनाव खतम, ड्यूटी हजम
बड़े बड़े दावों के बावजूद छात्रसंघ चुनाव में हिंसा हुई। कुछ लोगों पर हमला किया गया। कुछ चोटिल हुए। परस्पर मामले दर्ज हुए।
खाकीधारियों से हमले की जानकारी मांगी गई तो कहा गया, हमने तो जीने वाली उम्मीदवार को चुनाव जीतने के बाद घर तक पहुंचा दिया था।
उसके बाद हमला हुआ तो क्या कर सकते हैं। हां अब इस मामले में राजनीति शुरू हो चुकी है। कई खाकीधारी पार्टी भी बने हुए हैं।
खाकीधारी अपनी नाकामी को छुपाने के लिये अब कभी छात्रों को जुलूस निकालने की कार्रवाई को गलत बता रहे हैं तो कभी कुछ ओर बहाना बना रहे हैं।
बहरहाल एक विवि की की छात्रसंघ अध्यक्ष छात्रा को चोटिल होना पड़ा। अपना समय चुनाव का जश्न मनाने की बजाय अस्पताल के बेड पर बिताना पड़ा।
* लॉयन की छलांग से जंगल में हड़कंप
नये लॉयन, सिंघम ने जब से एक जिले की पुलिस को दूसरे जिले में भेजकर जुआ सट्टा वालों के खिलाफ कार्रवाई करवाई तो पूरी रेंज में खाकीधारियों के कान खड़े हो गए।
कान केवल खाकीधारियों के ही खड़े हुए हो ऐसा नहीं है। जुए सट्टे के कारोबार में लाखों करोड़ों कमाने वाले भी सोच में पड़ गए हैं कि इलाके के खाकीधारियों को बंधी देने के बावजूद अगर बाहर के खाकीधारी आकर धंधे को चूना लगा देंगे तो भरपाई कैसे होगी।
उधर, संबंधित खाकीधारी भी परेशान हैं। बंधी लेने के बाद बाहरवाले कार्रवाई कर जाएंगे तो क्लाइंट का क्या मुहं दिखायेंगे। ऐसे में धंधे की रक्षा के लिये फार्मूले की तलाश की जा रही है।
सभी जानते हैं जहां चाह, वहां राह का फार्मूला सब जगह लागू होता है।
Share this content: