आजादी के आंदोलन में एक अखबार की कीमत थी फिरंगी का कटा हुआ सर – डॉ. मेघना शर्मा
एम्मजीएसयू की डॉ॰ मेघना शर्मा का नागपुर की अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में व्याख्यान
NEERAJ JOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा)। आजादी के आंदोलन में एक अखबार की कीमत थी फिरंगी का कटा हुआ सर – डॉ. मेघना शर्मा, महाराजा गंगा सिंह विश्व विद्यालय (एमजीएसयू) बीकानेर की इतिहास विभाग की सहप्रभारी डॉ. मेघना शर्मा ने कहा कि आजादी की लड़ाई के दौरान लोगों में देश के लिये कुछ भी कर जाने का जूनून थी तभी एक भारतीय अखबार की कीमत भी एक फिरंगी का कटा हुआ सर रखी गई।
इस जूनून की हद यह थी कि हर कोई अपने आप को उस अखबार का संपादक बताकर गिरफतार होने को भी तैयार था। डॉ. मेघना नागपुर के राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ और महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा पुणे नागपुर द्वारा स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दी व मराठी साहित्य का अवदान विषय पर आयोजित दो दिवसीय 7-8 फरवरी अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रथम दिवस के चतुर्थ सत्र में अपना व्यख्यान दे रही थीं।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता कालीन पत्रकारिता के दौर में वारीन्द्र घोष के युगान्तर पत्र का संपादक कौन है, ये मालूम करना ब्रिटिश सरकार के लिये तब लगभग असंभव हो गया जब कई लोग देशप्रेम के चलते और पत्र के संपादक को बचाने की जुगत में ख़ुद को संपादक बताकर जेल चले जाने को तैयार था।
अखबार में थी बम बनाने की विधि
बीकानेर के एमजीएसयू की इतिहासविद डॉ. मेघना ने कहा कि क्रांतिकारी पत्र युगान्तर के अंतिम अंक में बम निर्माण की सम्पूर्ण प्रक्रिया शामिल थी और उसका मूल्य रखा गया फिरंगी का ताज़ा कटा हुआ सर। डॉ. मेघना ने मुख्य रूप से आर्य पत्रकारिता के तीन युगों को दृष्टिगत रखते हुये स्वतंत्रता कालीन पत्रकारिता एवं साहित्यिक परिदृश्य पर अपना व्याख्यान केंद्रित रखा।
पुस्तक का हुआ लोकार्पण
इससे पूर्व उद्घाटन सत्र में संगोष्ठी संयोजक डॉ. मनोज पाण्डेय द्वारा संपादित स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दी साहित्य का अवदान विषयक पुस्तक का मंचस्थ विद्वानों द्वारा लोकार्पण किया गया जिसमें बीकानेर की डॉ. मेघना का आलेख भी प्रकाशित हुआ है।
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की प्रधान संपादक डॉ. अमिता दुबे ने भी मंच से अपने विचार प्रस्तुत किये। अध्यक्षता नागपुर विश्वविद्यालय के उप कुलपति प्रो. दुधे ने की।
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