मातृभाषा को समर्पित दो दिवसीय आपणी भाषा-आपणी ओळखाण समारोह संपन्न
NEERAJ JOSHI बीकानेर (समाचार सेवा)। वरिष्ठ कवि कथाकार प्रमोद शर्मा ने राजस्थानी मातृभाषा को समर्पित ताजा रचना, ऐ सगळा भोळा है, जका आपसरी मांय विस्वास करै सुनाकर मातृभाषा के प्रति होने वाले बेवजह हमलों और उनमें वैश्विक दौर में फैल रहे विकारों को उकेरा।
कवि शर्मा प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा मातृभाषा राजस्थानी को समर्पित दो दिवसीय समारोह आपणी भाषा-आपणी ओळखाण के तहत भाषा विषय पर केन्द्रित विशेष काव्य धारा में अपनी रचना पेश कर रहे थे।
कार्यक्रम में मातृभाषा भाषा को केन्द्र में रखकर भाषा मान्यता एवं भाषा के विभिन्न पहलूओं को रेखांकित करते हुए एक से एक उम्दा रचनाओं का वाचन सृजन सदन में किया गया। समारोह की अध्यक्षता राजस्थानी मान्यता आंदोलन के प्रवर्तक एवं वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने की।
कळपै है मायड़ भासा राजस्थानी
रंगा ने इस अवसर पर अपनी काव्य रचना मायड़ भासा बनाव पाटवी पेश की- कळपै है मायड़ भासा राजस्थानी, अबै तो समझौ, चेतौ बापू रा वंशज, अर बापू री भोम जाया थे, राज रा पाटवी के माध्यम से राजस्थानी भासा की मान्यता पीड को साझा किया।
मुख्य अतिथि कवि एवं वरिष्ठ शिक्षाविद् संजय सांखला ने मातृभाषा को समर्पित अपनी कविता-हमे गर्व है हमारी राजस्थानी पर, राजस्थानी से बना है राजस्थान, हम मृत्यु तक मातृभाषा ही बोलेंगे पेश कर मातृभाषा कि आन बान शान को रेखांकित किया। शायर वली मोहम्मद गौरी ने गजल खुब पढूला, बाबू बणूला, या म्हैं बणूलां अफसर रे. पेश कर भाषा के माध्यम से नई पीढी के सपनों को रेखांकित किया।
मेरे पास भाषा है, रचता रहूंगा कविताएं
शायर इरशाद अज़ीज़ ने नज्म-मेरे पास भाषा है, रचता रहूंगा कविताएं, गजल, गीत बचा लूंगा पेश की। शायर कवि कासिम बीकानेरी ने गजल-भाषा ही शान है, भाषा ही मान है हम सबका अभिमान है पेश की। युवा शायर मोईनुद्दीन मोईन ने शेर पेश कर मातृभाषा के प्रति अपने समर्पित भाव को उकेरा। युवा कवि विप्लव व्यास ने धरती धोरा री मै गावां, मांगा मानता मांगा सुनाई।
राजस्थानी को मान्यता नहीं देना दुख पहलु
कवि जुगल किशोर पुरोहित ने राजस्थानी भाषा को समर्पित गीत की प्रस्तुति दी। बाबूलाल छंगाणी ने राजस्थानी को मान्यता नहीं देना दुख पहलु बताया। कवि गिरिराज पारीक, गंगा विश्न बिश्नोई, आयुष अग्रवाल, कैलाश टॉक ने भी रचना पेश की। अतिथियों का स्वागत राजेश रंगा ने किया।
काव्य धारा में भवानी सिंह, अशोक शर्मा, कार्तिक मोदी, तोलाराम सारण, अख्तर, सुनील व्यास, हरिनारायण आचार्य, नवनीत व्यास, आशिष रंगा, अविनाश व्यास, श्रीकिशन, हनुमान छिंपा, किशोर जोशी, सीमा पालीवाल, प्रीति व्यास मौजूद रहे। संचालन कासिम बीकानेरी ने किया, आशिष रगा ने आभार जताया।