“सिग्नल प्रोसेसिंग की उभरती प्रवर्त्तियां व डिजिटल डिजाईन” फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आगाज
बीकानेर, (samacharseva.in)। अभियांत्रिकी महाविद्यालय बीकानेर के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन विभाग तथा राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान कुरुक्षेत्र के संयुक्त तत्वाधान में टैक्युप द्वारा प्रायोजित “सिग्नल प्रोसेसिंग की उभरती प्रवर्त्तिया व डिजिटल डिजाईन” विषयक दो सप्ताह के फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आगाज वेबेक्स एप के माध्यम से हुआ l
इस कार्यशाला में सिग्नल प्रोसेसिंग से जुड़े 200 छात्रों, संकायों, औद्योगिक क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञों को प्रशिक्षित किया जा रहा है l कार्यशाला में सिग्नल प्रोसेसिंग विषय के मूल सिद्धांतों से अवगत कराया जाएगा। समारोह के मुख्य अतिथि ईसीबी की बोर्ड ऑफ़ गवर्नेंस के चेयरमैन हेमंत बोहरा ने खगोल विज्ञानं व ब्रह्माण्ड की जटिलता, व कृषि विज्ञान को समझने में सिग्नल प्रोसेसिंग को अहम् बताया l उन्होंने कहा की तकनीक एवं अंतरिक्ष विज्ञानं का अधिकतम लाभ उठाने में डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग अहम् कड़ी है l संकेतों को प्राप्त करना, उसका भण्डारण, और उसके प्रोसेसिंग की चुनोती का सामना बेहतर ढंग से तभी हो सकता है जब गणितीय जानकारी सुद्रढ़ हो l
उद्घाटन सत्र में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. जय प्रकाश भामू ने बताया की कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों को सिग्नल प्रोसेसिंग विषय के मूल सिद्धांतों और विभिन्न क्षेत्रों में उनकी उपयोगिता से अवगत कराना है । कार्यशाला प्रतिभागियों को सिग्नल प्रोसेसिंग के क्षेत्र में नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों को समझने का उत्कृष्ट अवसर प्रदान करेगा । कुरुक्षेत्र के प्रो. साथंस व टैक्युप समन्वयक ओ.पी. जाखड ने बताया की देश की शीर्ष तकनीकी संस्थाओं एवं उद्योगों से सिग्नल प्रोसेसिंग विशेषज्ञों को प्रतिभागियों के मार्गदर्शन के लिए आमंत्रित किया गया है।
मुख्य युक्तियों के बारे में जानकारी दी
कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता डॉ. राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान सूरत के डॉ. अभिषेक आचार्य ने आचार्य ने वीएलएसआई डिज़ाइन मे उपयोग होने वाली मुख्य युक्तियों के बारे में जानकारी दी। उन्होने बताया कि पिछले 50 वर्षों से इंटीग्रेटेड सर्किट्स पर चल रही शोध ने कंस्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स की दिशा ही बदल दी । दुसरे सत्र के वक्ता एन.आई.टी. सिक्किम के डॉ. अविनाश कुमार ने विभिन्न प्रकार की मोसफेट डिवाइस की कार्य प्रणाली के बारे में विस्तार से बताते हुए उनके फेब्रिकेशन के बारे में भी चर्चा की ।
उन्होंने बताया के आजकल जो आधुनिक मोबाइल हम काम में ले रहे है उसमें उपयोग होने वाले ट्रांजिस्टर का न्यूनतम फीचर साइज करीब 5 नैनोमीटर के आसपास है और शोधकर्ता इसे और भी छोटा करने का लगातार प्रयास कर रहे है । कार्यक्रम का सञ्चालन इंदु भूरिया ने किया l महाविद्यालय रजिस्ट्रार डॉ. मनोज कुड़ी ने धन्यवाद ज्ञापित किया l
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