प्रशासन की उदासीनता के कारण बीकानेर के पब्लिक पार्क का हो गया है व्यवसायीकरण–एम. एल. जांगिड़

Due to the apathy of the administration, Bikaner's public park has become commercialized – M. l. Jangid 20BKN PH-1
Due to the apathy of the administration, Bikaner's public park has become commercialized – M. l. Jangid 20BKN PH-1

NEERAJ JOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा)जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण बीकानेर के पब्लिक पार्क का व्‍यावसायीकरण हो चुका है। यह पार्क बीकानेर की विरासत है जिसे पुरातन स्‍वरूप में लाने की आवश्‍यकता है। संग्रहालय दिवस पर सोमवार को इन्डियन नेशनल इस्ट फॉर आर्ट एण्ड कल्चर हैरिटेज व रोटरी क्लब सुप्रिम की ओर से आयोजित संगोष्ठी में इस समस्‍या पर मुखर रूप से यह बात कही गई।

इस संबंध में वक्‍ता एम. एल. जांगिड ने कहा कि प्रशासन की उदासीनता के कारण स्थानीय बीकानेर पब्लिक पार्क जो की बीकानेर की विरासत है का व्यवसायीकरण हो रहा है। इसको इसके पुरातन स्वरूप में लाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि संग्रहालय हमारी विरासत को संरक्षित करने का अच्छा माध्यम है। संग्रहालय के संरक्षित सामग्री का अवलोकन करने हेतु शैक्षिक संस्थाओं को भ्रमण करवाना चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ी को हमारे इतिहास, संस्कृति, कला व साहित्य को समझेन का ज्ञान प्राप्त होगा।

म्यूजियम केवल हथियारों को प्रदर्शित करने का स्थान नहीं

डॉ. मोहम्मद फारूख ने कहा कि भारत में लगभग 400 संग्रहालय है जो हमारी धरोहर है। इनके माध्यम से कला व संस्कृति का संरक्षण किया जा रहा है। अमर सिंह खांगारोत ने एशियाटिक सोसायटी कोलकाता में प्रथम संग्रहाल्य की विशेषता बताई। गोष्ठी में मुख्य अतिथि रवि पुरोहित ने कहा कि म्यूजियम केवल राजा महाराजाओं के हथियारों को प्रदर्शित करने का स्थान नहीं अपितु हमारी सांस्कृतिक धरोहर का संग्रह है।

मूल्य खोते जा रहे हैं संग्रहालय  

गोष्ठी का संयोजन पृथ्वीराज रतनू ने किया। अध्यक्षता करते हुए मनमोहन कल्याणी ने कहा कि वर्तमान में संग्रहालय अपना मूल्य खोते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विरासत को बचाने के लिए समय और धन की आवश्यकता होती है। कल्‍याणी ने कहा कि गोष्ठी में हुई चर्चा को अमल में लाना चाहिए।