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भारत व यूरोप के मध्य सांस्कृतिक, साहित्यिक व भाषिक सेतु थे डॉ. तैस्सितोरी – शरद केवलिया

Dr. Tassitori was the cultural, literary and linguistic bridge between India and Europe - Sharad Kewalia

पब्लिक पार्क के पास डॉ. एल. पी. तैस्सितोरी की समाधि स्‍थल पर आयोजित कार्यक्रम

NEERAJJOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा) राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर के सचिव शरद केवलिया ने कहा कि राजस्थानी भाषा के इटालियन मूल के विद्वान साहित्यकार और शोधार्थी डॉ. एल. पी. तैस्सितोरी देश में भारत व यूरोप के मध्य सांस्कृतिक, साहित्यिक व भाषिक सेतु के रूप में कार्य करने वाले विद्वान के रूप में पहचाने जाते हैं।

केवलिया डॉ. एल. पी. तैस्सितोरी की पुण्यतिथि पर अकादमी की ओर से शुक्रवार को तैस्सितोरी की समाधि-स्थल पर आयोजित पुष्पांजलि समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्‍होंने कहा कि पुरातत्ववेत्ता, शोधार्थी, संपादक व बहुभाषाविद् डॉ. तैस्सितोरी ने राजस्थानी भाषा, साहित्य, संस्कृति के संवर्द्धन-संरक्षण के लिये अविस्मरणीय योगदान दिया। उनका बहुआयामी व्यक्तित्व था।  तैस्सितोरी ने बीकानेर आकर इस क्षेत्र का ऐतिहासिक सर्वेक्षण किया व अमूल्य प्राचीन ग्रंथों, प्रतिमाओं आदि की खोज की।

अकादमी कार्मिकों द्वारा डॉ. तैस्सितोरी के कृतित्व से प्रेरणा लेकर मायड़ भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए पूर्ण निष्ठा से कार्य करने का संकल्प लिया गया। वक्‍ताओं ने बताया कि डॉ. तैस्सीतोरी का 31 वर्ष की अल्पायु में बीकानेर में 22 नवम्बर 1919 को निधन हुआ। इस अवसर पर अकादमी कार्मिकों ने डॉ. तैस्सितोरी की समाधि पर पुष्प अर्पित किये व मोमबत्तियां जलाईं। इस दौरान श्रीनिवास थानवी, केशव जोशी, कानसिंह, मनोज मोदी उपस्थित थे।

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