×

डॉ. मेघना शर्मा की ‘एक नई महाभारत’

डॉ. मेघना शर्मा की एक नई महाभारत

बीकानेर, (samacharseva.in)।   डॉ. मेघना शर्मा की ‘एक नई महाभारत’, डॉ मेघना शर्मा वर्तमान में महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग की सहायक प्रोफेसर होने के साथ-साथ साहित्य के क्षेत्र में भी अपनी नाम रखती हैं। आज आप अपनी कविता ‘एक नई महाभारत’ के माध्यम से देश की समस्याओं के बारे में महाभारत के चरित्रों को जोड़ते हुए बात कर रही हैं और बताना चाहती हैं कि किस प्रकार महाभारत युग की परेशानियां आज भी जीवंत हैं।

किस प्रकार आज भी वह सभी चरित्र हमें अपने आसपास पसरे हुए दिखाई देते हैं किंतु फर्क सिर्फ इतना है कि आज भीम सा दमखम दिखाने वाले लोग कम रह गए हैं। हम बुरे चरित्रों को पहचान नहीं पा रहे क्योंकि वो पहले आपके मित्र बनकर विश्वासघात भी करने लगे हैं। आज के युवा हमारे युधिष्ठिर ठीक उसी युग की तरह मजबूर ज्यादा दिखाई देते हैं।आज दुर्योधन और दु:शासन जैसे लोग अपने आपको ज़्यादा मज़बूत कर बुराई और अत्याचार का वर्चस्व फैलाने में सफल हो रहे हैं।

किंतु कुछ अच्छे लोग, कुछ साहसी लोग यदि आगे बढ़े तो इन समस्याओं से हमारा देश पार पा सकता है। स्वतंत्रता दिवस मनाने का अधिकार हम तभी पा सकते हैं जब हम देश की असल समस्याओं तक पहुंचे, उनकी मूल भावना तक पहुंचे और हाशिए पर पड़े हुए मुद्दों को उठाकर अपने बाहुबल के आधार पर कुछ नवाचार करें। सबसे अहम बात यह है कि देश के हालात सुधारने की पहल करें तभी सच्चे मायनों में हम श्रद्धांजलि दे पाएंगे उन बलिदानियों को जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर हमें यह आजा़द हवा सांस लेने के लिए दी।

इस कविता के माध्यम से यही विचार संप्रेषित करने का प्रयास किया गया है कि जवानों आगे बढ़ो और देश की समस्याओं को समझने का प्रयास करो, सच्चे मायनों में केवल झंडा फहराने से स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया जाता। स्वतंत्रता चाहिए सामुदायिक व्याधियों से, स्वतंत्रता चाहिए भ्रष्टाचारियों से, स्वतंत्रता चाहिए बेरोजगारी से, स्वतंत्रता चाहिए अराजकता से, स्वतंत्रता चाहिए सांप्रदायिकता से, स्वतंत्रता चाहिए गरीबी से, स्वतंत्रता चाहिए प्रवसन की मजबूरियों से।

जब तक हम यह सब हासिल करने के प्रयास नहीं करते तब तक इन महा उत्सवों को सच्चे मायनों में मनाने के अधिकारी नहीं कहला सकते।

Share this content:

You May Have Missed

error: Content is protected by SITInovations!!