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SP MEDICAL COLLEGE BIKANER
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Neeraj Joshi
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डॉ. बी. डी. कल्ला आज करेंगे जोनल टास्क फोर्स की कार्यशाला का उद्घाटन
बीकानेर, (samacharseva.in)। ऊर्जा, जलदाय, कला व संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला गुरुवार 9 जनवरी की शाम 6 बजे होटल राजविलास में जोनल टास्क फोर्स (वेस्ट जोन) की दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि के रूप में करेंगे। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य 2025 तक संपूर्ण देश में टीबी उन्मूलन के महत्वकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करना है।
समारोह उच्च शिक्षा राज्य मंत्री भंवर सिंह भाटी तथा आयकर विभाग बीकानेर के संयुक्त आयुक्त संजीवकृष्ण शर्मा विशिष्ट अतिथि होंगे। जोनल टास्क फोर्स के आयोजन सचिव राजस्थान एवं एसपी मेडिकल कॉलेज के श्वसन रोग आचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉ. गुंजन सोनी ने बताया कि बीकानेर में पहली बार 9 व 10 जनवरी को प्रस्तावित इस कार्यशाला में देश के 150 मेडिकल शिक्षक, केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि, नेशनल टास्क फोर्स एवं अन्य जोनल टास्क फोर्स के प्रतिनिधिगण एवं राष्ट्रीय संस्थानों (एनटीआई बेंगलूरु,एनआईटीआरडी दिल्ली) के प्रतिनिधि और डब्ल्यूएचओ आरएनटीसीपी कन्सलटेन्टस भाग लेने बीकानेर पहुंचे हैं।
उन्होंने बताया कि कार्यशाला में गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश के प्रतिनिधि अपने व्याख्यान देंगे और टी बी कन्ट्रोल प्रोग्राम पर कार्यशाला कर रोग की रोकथाम के लिए जनजागरुकता का काम करेंगे। डॉ. सोनी ने बताया कि यह आयोजन स्टेट टास्क फोर्स, राजस्थान, राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम राज्य सरकार एवं क्षय रोग अनुभाग भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।
किसानों की आय दोगुनी करने में महत्ती भूमिका निभाएगा ‘आई.एफ.एस.’ यूनिट
कृषि विज्ञान केन्द्र की वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक आयोजित
बीकानेर, (samacharseva.in)। कृषि विज्ञान केन्द्र बीकानेर की वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक गुरुवार को आयोजित हुई। बैठक में गत वर्ष के कार्यों की समीक्षा तथा भावी कार्ययोजना पर विचार विमर्श किया गया। अध्यक्षता स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. एस. के. शर्मा ने की।
प्रो. शर्मा ने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि की नवीनतम तकनीकी जानकारी किसानों तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम है। केन्द्र सतत रूप से ऐसी गतिविधियां आयोजित करें, जिनसे किसानों को लाभ हो। उन्होंने केन्द्र द्वारा संचालित समन्वित खेती प्रणाली (आइएफएस) इकाई को किसानों के लिए ‘माॅडल’ बताया तथा कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में यह महत्ती भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि श्रीगंगानगर, चांदगोठी और लूणकरणसर के कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा आइ.एफ.एस. इकाईयां स्थापित की जा रही हैं। सभी केवीके क्षेत्रों के किसानों को इससे संबंधित प्रशिक्षण दिया जाए, तो बेहतर परिणाम सामने आएंगे।
विकसित करें ‘फसल कैफेटेरिया’
प्रो. शर्मा ने कृषि विज्ञान केन्द्र झुंझुनूं और लूणकरणसर की तर्ज पर केवीके बीकानेर में भी ‘फसल कैफेटेरिया’ विकसित करने पर जोर दिया। साथ ही इन गतिविधियों से अधिक से अधिक किसानों को जोड़ने का आह्वान किया। कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा गोद लिए गए गांव में नियमित गतिविधियां संचालित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रयासों के परिणामों का ‘वैज्ञानिक विश्लेषण’ हो। सोशल मीडिया का उपयोग तकनीकी ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए करने का सुझाव दिया। साथ ही आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने की बात कही।
मूल्य संवर्धन और मार्केटिंग से संबंधित प्रशिक्षण दें
अटारी, जोधपुर के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. एम. एस. मीणा ने कहा कि किसानों को उत्पादों के मूल्य संवर्धन एवं मार्केटिंग से संबंधित प्रशिक्षण दिए जाएं, जिससे किसान आत्मनिर्भर बन सकें। कृषि वैज्ञानिक अधिक से अधिक फील्ड विजिट करें तथा प्रशिक्षण कार्यक्रमों से कृषक महिलाओं को जोड़ें। उन्होंने कहा कि केवीके के माध्यम से कृषि प्रसार की व्यवस्था, विश्व की सर्वोत्तम व्यवस्थाओं में है। अफ्रीकी देश इसका अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्र से नवाचार करने का आह्वान किया।
प्रशिक्षणों का लें ‘फाॅलोअप’
काजरी के अध्यक्ष डाॅ. एन. डी. यादव पश्चिमी राजस्थान में समन्वित खेती प्रणाली इकाई की संभावनाओं के बारे में बताया तथा कहा कि किसानों को ऐसी इकाईयां स्थापित करने के लिए प्रेरित किया जाए। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा विभिन्न प्रशिक्षणों का फाॅलोअप लिया जाए तथा प्रशिक्षण के दौरान प्राप्त तकनीकी ज्ञान कितने किसानों द्वारा अपनाया गया, इसका मूल्यांकन किया जाए।
इससे पहले कृषि विज्ञान केन्द्र अध्यक्ष एवं प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. दुर्गा सिंह ने केन्द्र का वार्षिक कार्य प्रतिवेदन प्रस्तुत किया तथा आगामी कार्ययोजना के बारे में बताया। डाॅ. उपेन्द्र मील, डाॅ. मदन रैगर, डाॅ. बी. एस. मिठारवाल तथा डाॅ. सुशील कुमार ने विषयवार उपलब्धियां बताई। इस दौरान प्रसार शिक्षा उपनिदेशक प्रो. सुभाष चंद्र, डाॅ. एस. आर. यादव, सहायक निदेशक कृषि विस्तार डाॅ. राम किशोर मेहरा, उद्यानिकी के डाॅ. राजकुमार कुलहरी, आत्मा की डाॅ. ममता, प्रगतिशील किसान गवरा देवी, तुलसी देवी, कुशाल सिंह सोढा और जयनारायण चैधरी आदि ने विचार व्यक्त किए।
बैठक के उपरांत डाॅ. मीणा और डाॅ. यादव ने विश्वविद्यालय की समन्वित खेती प्रणाली इकाई का अवलोकन किया। उन्होंने गाय, बकरी और मुर्गी पालन, फल और सब्जी उत्पादन, अजोल उत्पादन, केंचुआ खाद सहित विभिन्न इकाईयों को देखा तथा इसकी सराहना की। डाॅ. मीणा ने नाल क्षेत्र में विभिन्न खेतों का भ्रमण करते हुए किसानों से बातचीत की।
केन्द्रीय कृषि मंत्री से कुलपति ने की शिष्टाचार मुलाकात, केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय बनाने का किया आग्रह
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री, केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री एवं आइसीएआर महानिदेशक से भी मिले कुलपति
बीकानेर, (samacharseva.in)। कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह ने केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर से शिष्टाचार मुलाकात की तथा विश्वविद्यालय को केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय बनाने का आग्रह किया। कुलपति ने बताया कि पश्चिमी राजस्थान का रेगिस्तानी क्षेत्र होने के कारण यहां केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय सर्वाधिक प्रासंगिक और आवश्यक है। इससे क्षेत्र के किसानों को भरपूर लाभ मिलेगा। प्रो. सिंह ने केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से शिष्टाचार मुलाकात की तथा विश्वविद्यालय की विभिन्न गतिविधियों के बारे में बताया। साथ ही विश्वविद्यालय में रैन वाटर हार्वेस्टिंग से संबंधित योजना की जानकारी दी। कुलपति ने केन्द्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण राज्यमंत्री श्री कैलाश चैधरी से शिष्टाचार भेंट की तथा विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे नवाचारों के बारे में बताया। वहीं, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद केे महानिदेशक डाॅ. त्रिलोचन महापात्र से शिष्टाचार मुलाकात के दौरान उन्होंने क्षेत्र के युवा उद्यमियों द्वारा खजूर और बाजरा के मूल्य संवर्धित उत्पाद बनाने एवं इनकी मार्केटिंग के नवाचार एवं इसकी वृहद् संभावनाओं के बारे में जानकारी दी।
लगातार चौथे दिन फील्ड में रहे कृषि वैज्ञानिक
खाजूवाला और जैसलमेर क्षेत्र के टिड्डी प्रभावित क्षेत्रों का किया दौरा
बीकानेर, (samacharseva.in)। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों की टीम ने गुरुवार को लगातार चौथे दिन टिड्डी प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया। विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक प्रो. एस. एल. गोदारा के नेतृत्व में कृषि विज्ञान केन्द्र लूणकरनसर के डाॅ. केशव मेहरा और डाॅ. नवल किशोर ने खाजूवाला के 5 बी.डी. में टिड्डी प्रभावित क्षेत्रों का अवलोकन किया तथा स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने किसानों को टिड्डी दल से होने वाले नुकसान से बचने के उपाय बताए।
उधर, कृषि विज्ञान केन्द्र जैसलमेर और कृषि विभाग की संयुक्त टीम ने पाकिस्तान बाॅर्डर पर स्थित भूनगरी पोस्ट के पास लगभग 15 किलोमीटर क्षेत्र में फैले विशाल टिड्डी दल प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया तथा नियंत्रण की कार्यवाही की। दल में केवीके जैसलमेर के प्रभारी डाॅ. दीपक चतुर्वेदी शामिल रहे। इस दौरान बीएसएफ अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा की।
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