देवीसिंह भाटी की नई भूमिका की देशभर में चर्चा

Devisingh Bhati's new role is discussed across the country
Devisingh Bhati's new role is discussed across the country -Photo by Liladhar Purohit (NANU)

गोचर भूमि की 40 किमी लंबी चारदीवारी निर्माण से चर्चा में भाटी व किराडू

बीकानेर, (समाचार सेवा)। देवीसिंह भाटी की नई भूमिका की देशभर में चर्चा, बीकानेर इन दिनों सरेह नथानिया की गोचर भूमि की लगभग 40 किलोमीटर लंबी बनने वाली चारदीवारी निर्माण को लेकर देशभर में चर्चा में हैं। ये चारदीवारी बीकानेर शहर के मुरलीधर व्यास नगर से बिल्कुल सटी हुई सरेह नथानिया गोचर भूमि पर बनाई जा रही है। जैसलमेर की ओर जाने वाले राष्‍ट्रीय राजमार्ग के एक तरफ यह दीवार नजर आनी शुरू हो गई है।

Devisingh Bhati's new role is discussed across the country -Photo Liladhar Purohit NANU
Devisingh Bhati’s new role is discussed across the country -Photo Liladhar Purohit NANU

एक जमाने में महाराजा करण सिंह ने यह जमीन गायों को हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए उपलब्ध कराई थी। राज्य के पूर्व मंत्री व कोलायत के पूर्व विधायक देवीसिंह भाटी व समाज सेवी बृजनारायण किराडू की अगुवाई में अनेक समाज सेवियों ने गोचर भूमि की इस चारदीवारी के निर्माण के लिये खुले हाथों से धन उपलब्ध कराना शुरू किया है। यह चारदीवारी लगभग 40 किमी बननी है।

वर्तमान में लगभग दो किलोमीटर के आसपास चारदीवारी का काम हुआ है। बाकी काम लंबा है। कब तक चलेगा इस बात का कोई जवाब फिलहाल पूर्व मंत्री देवीसिंह भाटी व ब्रजनारायण किराडू के पास नहीं है। नवज्योति के लिये बीकानेर के पत्रकार नीरज जोशी से बातचीत में देवीसिंह भाटी बताते हैं कि सरेह नथानिया गोचर भूमि को समाज के सहयोग से चारदीवारी बनाकर संरक्षित किए जाने का काम शुरू करने के बाद से बीकानेर ही नहीं प्रदेश के कई हिस्सों से गोचर को लेकर चल रहे विवादों को लेकर लोग उनसे संपर्क कर रहे हैं।

भाटी ने बताया कि जो भी लोग संपर्क कर रहे हैं सबको सोशल मीडिया के माध्यहम से संदेश भेजा गया है कि सब अपनी समस्यायें लिखकर भेजे ताकि पता किया जा सके क्या उसमें क्या हो सकता है। सभी संबंधितों से नाम पता व फोन नंबर भी मांगे गए हैं। उन्होंने बताया कि जल्द ही गोचर भूमि संरक्षण के लिये एक संघ बनायेंगे ताकि किसी एक गांव की गोचर भूमि पर संकट आये तो बाकी सभी लोग मदद को पहुंच सके।

भाटी ने कहा कि सरेह नथानिया गोचर भूमि की चारदीवारी बनाने व यहां के अवैध कब्जों को हटाने का काम समाज की मदद से हो रहा है। बाकी जगह यह काम कैसे किया जाए इस पर सबसे चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहा कि गोचर भूमि का विवाद आज हर गांव में हैं। गोचर ओरण, तालाब की आगोर पर अवैध कब्जे हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले गोचर के पक्ष में है मगर कोई सुनवाई नहीं कर रहा।

अनेक युवा गोचर भूमि में हुए अवैध कब्जों के खिलाफ आगे आये हैं मगर प्रशासन उदासीन है। अनेक गावों से लोगों के फोन आ रहे हैं। हर गांव में गोचर में हो रहे अवैध कब्जों की शिकायत है। भाटी ने कहा कि सार्वजनिक भूमि के रूप में जो पूर्वजों का खजाना मिला है सरकार व प्रशासन की इसमें कोई रुचि नहीं है। हम जिस गोचर भूमि को संरक्षित करेंगे उसका स्वाामित्व  सरकार का ही रहेगा।

हमारी रुचि गोचर भूमि का संरक्षण करना है और गायों के लिये चारे की व्यवस्था सुचारू रखना है। भाटी ने कहा कि उन्होंने जब भी ऐसे सामाजिक कार्यों के लिये भामाशाहों के आगे हाथ फैलाया झोली भर दी गई और अनेक बाद काम होने के बाद लोगों को आर्थिक मदद रोकने का आव्हान करना पड़ा है। इस गोचर भूमि को अवैध कब्जाधारियों से बचाने वाले पर्यावरण प्रेमी बृजनारायण किराडू बताते हैं कि उनका पूरा परिवार इस पर्यावरण यज्ञ में शामिल हो चुका है।

किराडू ने बताया कि इतने बड़े क्षेत्र को बचाने के लिए उन्होंने अपना सारा जीवन लगभग समर्पित कर दिया है। दर्जनों बार भूमाफियों से झगड़े किए, कई अदालती मामलों में गवाही दी। किराडू ने बताया कि इस जमीन पर वन्य जीवों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था है। जगह-जगह छोटे-छोटे तालाब, कुंडी बनाए गए हैं, जहां पशु आकर पानी पीते हैं। इनमें पानी की सप्लाई नियमित रूप से करने के लिए टैंकर का भी इस्तेमाल किया जाता है तो कभी बरसाती पानी जमा होने से काम चल जाता है।

कुंभलगढ़ की चारदीवारी से भी होगी लंबी चारदीवारी

बीकानेर में सरेह नथानिया गोचर भूमि के संरक्षण के लिये  23 बीघा क्षेत्र में बनाई जा रही 9 इंच मोटी चारदीवारी राज्य में बने कुंभलगढ़ की चारदीवारी से भी अधिक लंबी लगभग 40 किमी की बनेगी। कुंभलगढ़ की चारदीवारी लगभग 36 किलोमीटर ही लंबी है।

सरेह नथानिया गोचर भूमि में रहने वाले पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों को बचाने तथा गायों के चरने के लिये चारे की सुचारू व्यवस्था रखने के लिये लगभग 40 किमी यह चारदीवारी बनाई जा रही है। अनुमान के अनुसार इस बार 5 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस दीवारी के निर्माण में केन्द व राज्य से कोई सहयोग नहीं लिया जा रहा।

सरेह नथानिया गोचर भूमि में पशु-पक्षियों का है डेरा

बताया जा रहा है कि चारदीवारी से चर्चा में आई बीकानेर की सरे नथानिया गोचर भूमि में तीन लाख से अधिक खेजड़ी के पेड़ हैं। यहा चार हजार गायें चरती हैं। एक हजार नील गायें, पांच हजार हिरण, चार हजार खरगोश और असंख्य सांप और चूहों की भरमार है।

इन सब जीव जंतुओं की सुरक्षा के लिये तथा इस भूमि को अवैध कब्जाधारियों से बचाने के लिये चारदीवारी समाज की मदद से बनवाई जा रही है।

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Devisingh Bhati’s new role is discussed across the country-1