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‘राजस्थानी काव्य-गोष्ठी’ लुगाई नै कुण गाई में उठी स्त्रियों को पूरी आजादी की मांग

Demand for complete freedom to women raised in 'Rajasthani Poetry-Gosthi' Lugai Nai Kun Gai

बीकानेर, (समाचार सेवा)। ‘राजस्थानी काव्य-गोष्ठी’ लुगाई नै कुण गाई में उठी स्त्रियों को पूरी आजादी की मांग, आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में अंतरराष्‍ट्रीयराजस्थानी समाज द्वारा ऑनलाइन ‘राजस्थानी काव्य-गोष्ठी’ आयोजित की गई।

प्रीत के कारण ही सब संभव है, स्त्रियों को पूरी आजादी और बराबरी की मांग आजादी के अमृत महोत्सब पर इन रचनाओं में देखी गई।

गोष्ठी में राजस्थानी की प्रमुख पांच कवयित्रियों- सुमन बिस्सा (जोधपुर), आशा पांडेय ओझा (उदयपुर), रेणुका व्यास ‘नीलम’ (बीकानेर), कामना राजावत (जयपुर) और सिया चौधरी (सीकर) ने कविता-पाठ किया।

नारी विमर्श की कविताओं में राजस्थानी की पांच प्रमुख कवयित्रियों ने महिलाओं की वर्तमान दशा और दिशा के साथ राजस्थान की परंपरा और संस्कृति को कविता का विषय बनया वहीं मन के सुकोमल भावों से संबंधों के बदलते-बिगड़ते गणित पर भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।

संयोजक कवि-आलोचज डॉ. नीरज दइया ने बताया कि महिला काव्य गोष्ठी के सोशल मीडिया पर हुए सजीव प्रसारण में डॉ. मीनाक्षी बोराणा,  संतोष चौधरी, बंसती पंवार, रेखा लोढ़ा, मुकुट मणिराज, मधु आचार्य, राजेंद्र जोशी, राजाराम स्वर्णकार,

चंद्रशेखर जोशी, रमन बिस्सा, रवि पुरोहित, शिव शंकर व्यास, जितेंद्र कुमार सोनी समेत सौ से अधिक लेखकों और राजस्थानी प्रेमियों ने हिस्सा लिया।

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