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कलक्टर कुमार पाल गौतम ने लड़ाये पेच

kumar pal gautam

बीकानेर, (समाचार सेवा)। कलक्‍टर कुमार पाल गौतम ने लड़ाये पेच, बीकानेर के 532 वें स्थापना दिवस के मौके पर नयाशहर क्षेत्र स्थित बेसिक महाविद्यालय से कलक्‍टर कुमारपाल गौतम ने पतंगबाजी का लुत्‍फ उठाया।

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गौतम ने छत से पतंगे उड़ाकर कई पतंगों को काटकर बाय काट बाय काट कर पूरे माहौल को उत्साहित कर दिया। नगर स्थापना दिवस पर कलक्‍टर गौतम एवं शहर के कई गणमान्य लोगों द्वारा चंदा एवं पतंगों को उड़ाकर लोक संस्कृति एवं लोक रंगों को परकोटे के भीतर साकार किया।

मौके पर पूर्व न्यायाधीश डी.एन.जोशी, जनसंपर्क विभाग के उपनिदेशक विकास हर्ष पी.ओ.आई. कार्तिक आचार्य, अमित व्यास, आशीष शर्मा, रविप्रकाश शर्मा, हेमंत व्यास, गोविंद ओझा, दिनेश पुनिया, उपस्थित रहे।

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कलक्टर गौतम ने शहरवासियों को अक्षय तृतीया की शुभकामनाएं देते हुए बीकानेर को विकास की नई राह पर ले जाने के लिए आमजन को सहयोग करने के साथ-साथ शहर की खुशहाली की कामना की।

उन्होंने युवाओं का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि वर्तमान के युवा नई सोच, नई ऊर्जा एवं उमंग से लबरेज है और यही नए भारत के भाग्य विधाता हैं।  इस अवसर पर कलक्‍टर कुमारपाल गौतम का योग गुरू दीपक शर्मा,

फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. अमित पुरोहित एवं महाविद्यालय के अमित व्यास द्वारा राजस्थानी साफा पहनाकर स्वागत अभिनन्दन करने के साथ-साथ चंदे का लोकार्पण करवाया।  अमित व्यास ने  आभार प्रकट किया।

घरों में बना खीचड़ा-इमलाणी, आकाश में छाई पतंगे

बीकानेर नगर स्थापना दिवस के दो दिवसीय सार्वजनिक पतंगोत्सव के तहत मंगलवार को शहर के हर घर से पतंगे उड़ाई गई तथा प्रत्येक घर में परंपरागत भोजन खीचड़ा व इमलानी बनाया गया।

अक्षया तृतिया के दिन सुबह से ही लोग घरों की छतों पर दिखने लगे और पतंग उड़ाने व लूटने के दौरान बोई काट्या है का उद्घोष घर-घर से सुनाई देने लगा। क्या बच्चे क्या बड़े सभी लोग दिनभर पतंगबाजी का मजा लूटने में व्यस्त रहे।

अंधेरा हुआ तो बीकानेर स्थापना दिवस की खुशी में छतों व सार्वजनिक रास्तों पर आतिशबाजी की।

स्थापना दिवस की दो दिवसीय परम्परा के अनुसार एक दिन गेहूं और दूसरे दिन बाजरे का खीचड़ा बनाया गया। महिलाओं ने इस खाद्य पदार्थ को बनाने के लिये लगभग एक सप्ताह से पहले से ही तैयारी कर ली थी।

ब्रह्म बगीचा क्षेत्र में रहने वाली वयोवृद्ध भंवरी देवी जोशी ने बताया कि तपसी भवन में दशकों से इस परम्परा का निर्वहन हो रहा है। घर की सभी बहुओं ने मिलकर हमाम दस्ते में कूट-पीटकर खीचड़ा तैयार किया। 

समाजशास्त्री आशा जोशी ने बताया कि हर वर्ष की भांति उनकी सास की देखरेख में खीचड़ा तैयार किया गया। इस अवसर पर पुष्पा, विमला जोशी, संगीता, माधुरी तथा पूजा जोशी मौजूद रहे।

उन्होंने बताया कि इक्कीसवीं सदी में परिवार को एक सूत्र में पिरोने में ऐसे मौके अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। उन्होंने बताया कि आखा बीज के अवसर पर परम्परागत रूप से नई मटकी की पूजा की गई। इस दौरान सरवा भी मिट्टी का लिया गया तथा छोटे बच्चों के लिए मिट्टी की ‘लोटड़ियां’ खरीदी गई।

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