राजस्थान में जन्म के समय शिशु लिंगानुपात बढ़कर हुआ 948
जयपुर, (समाचार सेवा)। राजस्थान में जन्म के समय शिशु लिंगानुपात बढ़कर हुआ 948, प्रदेश में इस वर्ष जन्म के समय का बाल लिंगानुपात बढ़कर 948 हो गया है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि जन्म के समय के बाल लिंगानुपात की दृष्टि से प्रदेश का बांसवाड़ा जिला सर्वोच्च स्थान पर रहा है। बांसवाड़ा जिले में वर्ष 2018-19 के दौरान हुए शिशु जन्म में 1000 बालकों की तुलना में 1003 बालिकाओं ने जन्म लिया।
डॉ. शर्मा ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान जन्म के समय बाललिंगानुपात चूरू में 986, बाड़मेर 982, हनुमानगढ़ में 977 एवं जालोर में 974 रहा है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान गत वर्ष की तुलना में सर्वाधिक वृद्धि बाड़मेर जिले में हुई है। बाड़मेर में 954 से बढ़कर 982 हो गया। इसी प्रकार जालोर में 950 से 974, भीलवाड़ा में 933 से बढ़कर 951, प्रतापगढ़ में 921 से 938 एवं जोधपुर में 947 से बढ़कर 963 हो गया।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रारंभ किए गए प्रिग्नेंसी एंड चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम के तहत दर्ज आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष प्रदेश में जन्म के समय का बाल लिंगानुपात बढ़कर 948 हो गया है। इसी प्रकार प्रदेश में पीसीटीएस के आंकड़ों के अनुसार जन्म के समय बाल लिंगानुपात वित्तीय वर्ष 2015-16 में 929, वर्ष 2016-17 में 938 एवं वर्ष 2017-18 में 944 रहा था।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार यह मात्र 888 था। प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 17 लाख प्रसव होते हैं तथा इनमें से 14 लाख 50 हजार संस्थागत प्रसव के आंकड़े पीसीटीएस के तहत ट्रेक किए जाते हैं।
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