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ऊंट उत्सव में पहुंचे पुष्‍करणा समाज के विष्णु रूपी दूल्हे , नहीं हो सकी शादी

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बीकानेर, (समाचार सेवा) ऊंट उत्सव में पहुंचे पुष्‍करणा समाज के विष्णु् रूपी दूल्हे, नहीं हो सकी शादी, बीकानेर के अंतरराष्‍ट्रीय ऊंट उत्‍सव में इस बार सबसे अधिक आकर्षण का केन्‍द्र रही पुष्‍करणा समाज के दूल्‍हों की बारात।

इस बाराता में शामिल विष्‍णू रूपी दूल्‍हों को लोगों का आर्शीवाद तो बहुत मिला मगर इन्‍हें दूल्‍हने नहीं मिली। दरअसल ये बारात बीकानेर के पुष्‍करणा समाज के सामुहिक विवाह आयोजन पुष्‍करणा सावा को दर्शाने के लिये निकाली गई थी।

pushkarna-sava-1 ऊंट उत्सव में पहुंचे पुष्‍करणा समाज के विष्णु रूपी दूल्हे , नहीं हो सकी शादी

ऊंट उत्‍सव की परंपरागत शोभायात्रा के साथ इस बारात का आयोजन बीकानेर की रमक झमक संस्था द़वारा किया गया।

इसी के तहत अंतरष्ट्रीय केमल फेस्टिवल 2019 में पुष्करणा वैडिंग ओलम्पिक पुष्करणा समाज का सावा की सादगी को दर्शाती बारात निकाली गई थी। इस बारात में एक साथ दो दूल्हे पौराणिक विष्णु रूप के गणवेश में पिताम्बर, खिड़किया पाग,  मावड पहने व पैरो में लकड़ी के खड़ाऊ पहने हुवे थे।

चारों ओर फेंटा पहने  लौकार पकड़े युवक थे व रंग बिरंगी साड़ियों में  महिलाए सजी हुई थी, राजस्थानी घघरा पहनी कई युवतियां भी शामिल थी जो रास्ते मे घूमर करती रही। पण्डित आशीष ने स्वस्ति वाचन किया, महिलाओ ने हर आयो हर आयो व केशरियो लाडो जीवतों रेवे सरीखे गीत गाती हुई चली।

राजस्थानी दूरदर्शन व आकाशवाणी की गायिका पदमा व्यास व नीलिमा बिस्सा, सुमन ओझा व रामकवरी ओझा की अगुवाई में  गीत गाये।

युवा कवि आनन्द मस्ताना के साथ रमक झमक की टीम ने ‘बहु ने बेटी मानो सा, सावा में ब्याव करो सा ‘  जैसे गीत गाकर देश की जनता को बेटी का महत्व बताया व कुरीतियां खत्म करने का अपील की।

विष्णुरूप दूल्हे ए के चुरा व सूर्यप्रकाश पुरोहित बने। स्टेडियम में बने मंच से आगे से निकलते समय अचानक रुक कर दोनों दूल्हों ने व रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरु’ ने जिला कलक्टर व एस पी सहित

प्रशासन को फूल के बुके भेंट कर  रमक झमक ओलम्पिक सावा प्रत्यक्ष उपस्थित होकर लाइव देखने व सावा पर शहर में अच्छी व्यवस्था की उम्मीद जताई। जूनागढ़ से रवानगी से पूर्व अनेक लोग पहले से ही बाराती बनकर तैयार थे जो शामिल हुवे ।

बीकानेर के बाहर बैठे प्रवासियों अनेक ने  ये बारात व अन्य झलकियां कई माध्यमो से लाइव भी देखी। सबने रमक झमक को शुभकामना दी व पर्यटन विभाग का आभार जताया कि पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस कार्यक्रम में सावा सस्कृति से देश दुनियां को रूबरू करवाया गया।

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