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खतरनाक हो सकता है कोविड-19 के दौर में स्तन कैंसर की जांच को टालना : डॉ. बेनीवाल

Breaking up of breast cancer screening in Kovid-19 era can be dangerous: Dr. Beniwal

बीकानेर, (samacharseva.in)। खतरनाक हो सकता है कोविड-19 के दौर में स्तन कैंसर की जांच को टालना : डॉ. बेनीवाल, आचार्य तुलसी रीजनल कैंसर होस्पीटल बीकानेर के आँकोलॉजिस्ट डॉ. सुरेन्द्र बेनीवाल के अनुसार मौजूदा कोविड-19 महामारी के दौर में स्तन कैंसर की जांच एवं उसके इलाज को टालने का गंभीर नतीजा हो सकता है।

अस्पताल में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. बेनीवाल ने कहा कि आने वाले समय में स्तन कैंसर की जांच में ढिालाई की परिणति सामने आ सकती है और कैंसर से होने वाली मौतों में इजाफा देखने को मिल सकता है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की चुनौतियों से भरपूर इस साल के दौरान इन विशेषज्ञों स्तन कैंसर की जांच और चिकित्सा के संबंध में काफी कुछ सीखा और नए तरह के अनुभवों को हासिल किया।

हालांकि डॉ. बेनीवाल ने माना कि वर्तमान अवधि के दौरान स्तन कैंसर के बारे में की जाने वाली पूछताछ में काफी बढ़ोतरी देखी है। हम महिलाओं से अपील भी कर रहे हैं कि वे अपने स्तन की नियमित रूप से जांच करती रहें और जरूरी होने पर संबंधित डाक्टरों से संपर्क करें। उन्होंने कहा कि स्तन कैंसर का पता जितना जल्दी लगेगा उतना ही अधिक उसका उपचार सफल रूप से होगा।

फोन एवं ऑनलाइन वीडियो परामर्श

डॉ. बेनीवाल ने कहा कि स्तन कैंसर की स्क्रीनिंग के कार्यक्रमों से कैंसर के मरीजों में जीवित रहने की दर में वृद्धि तथा उनकी मौत होने की दर में कमी आने की पुष्टि व्यापक तौर पर हो चुकी है। उन्होंने कहा कि कोविड – 19 के कठिन समय के दौरान विशेषज्ञ फोन एवं ऑनलाइन वीडियो परामर्श के जरिए मरीजों को उनके लक्षणों के आधार पर उन्हें आगे की कार्रवाई के बारे में सुझाव दे रहे हैं। इसलिए अगर कोविड- 19 महामारी के कारण मैमोग्राम कराने में देरी हो रही है तो विशेषज्ञों का सुझाव है कि आप अपने डॉक्टर को फोन करें और उनसे इलाज के बारे में परामर्श करें।

डॉ. बेनीवाल ने कहा कि जिन महिलाओं में स्तन कैंसर का पता चलता है उन्हें योजनाबद्ध और प्रणालीगत चिकित्सा की आवश्यकता होती है, जो उनके कैंसर की स्थिति के आधार पर अलग-अलग होती है।कोविड – 19 के कठिन समय के दौरान स्तन कैंसर की जांच एवं उसके इलाज में देरी काफी घातक साबित हो सकती है।

स्तन की स्वयं जांच हर महिला के लिए जरूरी

डॉ. बेनीवाल के अनुसार स्तन की नियमित स्क्रीनिंग के अलावा 40 साल की उम्र के बाद हर साल मैमोग्राम के जरिए जांच तथा 30 साल की उम्र के बाद से स्तन की स्वयं जांच हर महिला के लिए बहुत जरूरी है। स्तन की जांच करने के लिए स्तन को स्पर्श करते हुए यह देखें कि क्या आप कुछ असामान्य महसूस कर रही है या आपके स्तन में किसी तरह का बदलाव तो नहीं आया है। अगर आपको ऐसा कुछ लगता है तो अपने डाक्टर के साथ परामर्श करें।

कॉलरबोन तक सभी स्तन ऊतकों की हो जांच

जब महिला खुद अपने स्तन की जांच करती हैं तो याद रखें कि निप्पल क्षेत्र, बगल के क्षेत्र और कॉलरबोन तक सभी स्तन ऊतकों की जांच करें। जिन महिलाओं में स्तन कैंसर का पता चलता है उन्हें योजनाबद्ध और प्रणालीगत चिकित्सा की आवश्यकता होती है, जो उनके कैंसर की स्थिति के आधार पर अलग-अलग होती है। जिनका जितना जल्दी इलाज शुरू होता है वे उतना ही तेजी से और उतना ही जल्दी स्वस्थ होती है।

घातक साबित हो सकती है इलाज में देरी

कोविड-19 के कठिन समय के दौरान स्तन कैंसर की जांच एवं उसके इलाज में देरी काफी घातक साबित हो सकती है। स्तन कैंसर भारत में शहरी महिलाओं में सबसे आम कैंसर बन गया है और ग्रामीण महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, बढ़ती शहरीकरण और बदलती जीवन शैली के कारण स्तन कैंसर के मरीजों की संख्या में 2030 तक उल्लेखनीय रूप से बढ़ सकती है।

आरामतलब जीवन शैली भी एक कारण

स्तन कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी होने के कारणों में जंक फूड और धूम्रपान के साथ आरामतलब जीवन शैली भी शामिल है। परिवार में स्तर कैंसर के इतिहास भी किसी महिला में स्तन कैंसर होने के जोखिम को निर्धारित करने में भूमिका निभाते हैं। जिस महिला के परिवार में स्तन कैंसर का इतिहास है और जिनकी आयु 50 वर्ष की आयु से अधिक है उनमें स्तन कैंसर होने का खतरा अधिक होता है।

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