भुजिया कारीगरों का अनिश्चितकालीन धरना शुरू
बीकानेर, (समाचार सेवा)। तय मजदूरी नहीं देने के विरोध में भुजिया कारीगरों ने मंगलवार 1 मई से बीकानेर में कलेक्ट्रेट के सामने अपना अनिश्चिचित कालीन धरना शुरू कर दिया है।
भुजिया श्रमिकों के अनुसार उन्हें 12 किलो बेसन का भुजिया बनाने पर वर्तमान में 126 रुपये मजदूरी दी जा रही है जबकि यह मजदूरी 154 रुपये होनी चाहिये। समझौता होने के बावजूद कारीगरों की बढाई गर्इ्र मजदूरी नहीं दी जा रही है।
धरने के संबंध में कलक्टर को सौंपे ज्ञापन में बीकानेरी भुजिया नमकीन श्रमिक संघ की ओर से बताया गया है मजदूरी बढ़ाने के संबंध में भुजिया कारखाना नियोक्ताओं, श्रम विभाग तथा भुजिया श्रमिकों के बीच 10 मई 2016 को त्रिपक्षीय समझौता हुआ था।
भुजिया श्रमिकों ने इस समझौते का लागू करने के लिये श्रमि विभाग व भुजिया कारखाना मालिकों से बात की मगर उचित कार्रवाई नहीं हुई। इसके चलते भुजिया कारीगरों को धरना देना पड़ रहा है।
भुजिया नमकीन श्रमिक संघ के अनुसार त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार राज्य सरकार द्वारा महंगाई वृद्धि के आधार पर भुजिया श्रमिकों की सालाना मजदूरी बढ़ाई जानी थी, मगर ऐसा नहीं किया गया।
ज्ञापन में बताया गया है कि वर्ष 2016 में 12 किलो बेसन (1 पीपा) की लगभग 21 किलो भुजिया बनाने पर कारीगर को 126 रुपये दिये जाते थे। यह मजदूरी 1 किलो तैयार भुजिया पर कुल 6 रुपये 30 पैसे पड़ती थी।
वर्ष 2016 में त्रिपक्षीक्ष समझौते के अनुसार महंगाई वृद्धि के अनुसार मजदूरी बढ़ाने पर 1 किलो तैयार भुजिया कुल 7 रुपये 70 पैसे बनती है। ज्ञापन के अनुसार यह वृद्धि वर्ष 2016 व 2014 में हुए त्रिपक्षीय समझौते में 1 रुपये 40 पैसे प्रति एक किलो तैयार भुजिया वृद्धि के बराबर ही बैठती है।
इस प्रकार 12 किलो बेसन (1 पीपा) की लगभग 21 किलो भुजिया तैयार करने की वर्तमान मजदूरी 126 रुपये से बढ़ाकर 154 रुपये की जानी चाहिये।
संघ अध्यक्ष विजय सिंह राठौड़ ने कहा कि करीब दो वर्ष पूर्व भुजिया श्रमिकों ने आन्दोलन किया था तब भुजिया नियोजकों ने आन्दोलन खत्म करने की अपील करते हुए 10 मई 2016 को हुए त्रिपक्षीय औद्योगिक समझौता किया था मगर अब वे खुद समझौते का पालन नहीं कर रहे हैं।
महामंत्री भगीरथ सिंह राजपुरोहित ने कहा कि जब तक भुजिया नियोजक उनकी मांगें नहीं मान लेते तब तक अनिश्चितकालीन धरना जा रहेगा। धरने को उग्रसेन, देवीसिंह, गोपसिंह, गिरधारीलाल, कानीराम, पप्पूराम, नरसीराम, कालूराम, भवानी सिंह, नरपत सिंह ने भी संबोधित किया।
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