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अशोक गहलोत मेरे नेता हैं और रहेंगे – डॉ. दूलाराम सहारण

Ashok Gehlot is my leader and will be - Dr. Dula Ram Saharan

राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर के अध्‍यक्ष डॉ. सहारण की प्रेस वार्ता

NEERAJ JOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा) अशोक गहलोत मेरे नेता हैं और रहेंगे – डॉ. दूलाराम सहारण, राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण ने गुरुवार को बीकानेर में अकादमी की आगामी योजनाओं सहित अपने राजनीतिक व साहित्यिक सोच के बारे में पत्रकारों से बेबाक बातचीत की।

डॉ. सहारण ने कहा, अशोक गहलोत मेरे नेता है। गहलोतजी ने अकादमी अध्‍यक्ष के रूप में डयूटी दी है। मैं यह डयूटी पूरी करूंगा। उन्‍होंने कहा कि सबकी अपनी विचारधार हो सकती है। हम तोड़ने वाले लोग नहीं।जोड़ने वाले हैं। जो टूटे हुए हैं उनको भी जोड़ देंगे। एक सवाल के जवाब में उन्‍होंने कहा कि अकादमी अध्‍यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति राजनीतिक वजहों से ही हुई है।

ऐसे में भले ही वे अकादमी के अध्‍यक्ष हों, वे अपनी विचारधारा को प्रमुखता देते हुए अन्‍य विचारधाराओं का भी पूरा सम्‍मान करेंगे।डॉ. सहारण ने कहा कि अकादमी की प्रकाशन, अनुदान एवं पुरस्कार योजनाओं को प्रभावी ढंग से पुनः लागू किया जाएगा। अकादमी की रीति-नीति को पूर्ण पारदर्शिता को साहित्यधर्मियों तक पहुंचाने के प्रयास होंगे।

नवोदित लेखकों को मंच उपलब्ध करवाएंगे। उन्होंने कहा कि आगामी मार्च तक अकादमी की मासिक पत्रिका मधुमति के पांच हजार सदस्य बनाने के लक्ष्य के साथ कार्य किया जाएगा।

इस पत्रिका में राजस्थान के 75 प्रतिशत तथा बाहर के 25 प्रतिशत लेखकों को अवसर दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि मधुमति के प्रत्येक अंक को विशेषांक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा।

इस श्रृंखला में गांधी, नेहरू और कहानी विशेषांक पर कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि स्कूलों और कॉलेजों को मधुमति का सदस्य बनाने के आदेश के क्रियान्वयन के प्रयास होंगे।साहित्य अकादमी अध्यक्ष ने कहा कि अकादमी द्वारा लेखक से मिलिए तथा पाठक से मिलिए जैसी संवाद श्रृंखलाएं चालू की जाएंगी।

अकादमी द्वारा साल के 365 दिनों में 365 साहित्यिक कार्यक्रमों के आयोजन की रूपरेखा तैयार करते हुए सरकार से इनका अनुमोदन करवाया जाएगा।उन्होंने बताया कि अकादमी द्वारा प्रदेश में साहित्य का वातावरण बनाने के प्रयास होंगे। वरिष्ठ साहित्यकारों का मार्गदर्शन लेते हुए कार्य किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि अकादमी के बंद पड़े पुरस्कार प्राथमिकता के साथ प्रारम्भ करेंगे। इसके लिए राज्य सरकार को विशेष अनुदान के लिए आग्रह किया जाएगा।

इस दौरान मधुमति के सम्पादक डॉ. ब्रजरतन जोशी, अकादमी के कोषाध्यक्ष के. के. शर्मा तथा राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के पूर्व सचिव पृथ्वीराज रत्नू मौजूद रहे।

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