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पंचनामा : उषा जोशी

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बीकानेर, (समाचार सेवा)।

* बना के क्यू बिगाड़ा रे, बिगाड़ा रे नसीबा..

एक खाकीधारी चौधरी साहब को पूरा भरोसा था कि इस बार के उलटफेर में शहर के सबसे अधिक कमाउ थाने कोटगेट थाने की कमान उनको मिल जाएगी। मगर हाय री किस्मत थानेदारी नहीं मिली। वैसे चौधरी साहब तो इतने कॉन्फीडेंट थे कि टाइगर तबादला सूची जारी करते उससे पहले ही कोटगेट थाने को अपना मानकर बधाईयां बटोरने लग गए।

साथियों ने भी आगे बढ़कर बधाईयां भी दी। दूसरी और पहले से बीकानेर में कोतवाल रहे और वर्तमान में पास के जिले से जांगळ देश में आये एक खाकीधारी साहब भी कोटगेट थाना पाने लाइन में अपने आपको एक नंबर पर मान रहे थे। इन साहब की भी  मुराद पूरी नहीं हुई। अब जिस खाकीधारी साहब ने कोटगेट की थानेदारी पाई है उसे लेकर भी कहा जा रहा है कि उनकी सिफारिश सीधे खाकी राजघराने से आई थी।

बहरहाल अब जिन खाकीधारियों को कोटगेट थाना नसीब नहीं हुआ वो यह कहने लगे हैं कि भाई कोटगेट थाना तो एक जाति वालों के लिये लगता है आरक्षित ही हो गया है। वे सही भी हैं पिछले काफी समय से जो थानेदार यहां लगे हैं आप भी थाने आकर उनके नाम पढ़ सकते हैं।

* हम बोलेगा तो बोलेंगे कि …

जांगळ देश के एक हाईवे के पास के थाने ने एक हत्याकांड का खुलासा करते हुए बड़ी जोर से अपनी पीठ थपथपाई है। भाई लोग ये नहीं बता रहे हैं कि जिस प्रेमिका के कारण प्रेमी ने प्रेमिका के पति की हत्या की खाकी वाले उस प्रेमिका को क्यों बचाने में लगे हुए हैं।

इस कांड को उजागर करने पर पीठ थपथपाने वाले सीओ साहब व थानेदारजी भी अब लोगों की निगाह में संदिग्ध बन रहे हैं। अपने लोगों का पक्ष लेना, लक्ष्मी दर्शन के हिसाब से किसी का पक्ष लेना या विरोध करना खाकी का पुराना स्टाइल माना जा सकता है मगर चर्चित मामलों में ऐसा होने पर खाकी पर दाग लगने वाला हो सकता है।

दावा करने वाले तो कहते हैं कि टाइगर को मामले की जानकारी होने के बावजदू दाल में काला जितना मामला होने की बजाय पूरी दाल ही काली होती जा रही है। अवैध संबंधों के कारण हुए इस हत्याकांड का सुलझाने का दावा करने वाली खाकी कहीं खुद तो किसी अवैध काम को अंजाम नहीं दे रही है।

* तुमने पुकारा और हम चले आये..

एक साहब वीआईपी इलाके में थानेदारी करते करते डॉक्टरी  भी करने लगे थे। उनकी परामर्श इतने लोगों के काम आने लगी कि लोग बीमारियों से ठीक होने लगे। महकमें ने इन थानेदारजी की परामर्श की बढ़ती फरमाईश के चलते उनको परामर्श केन्द्र में ही भेज दिया है।

कहने वाले भले ही कहें कि थानेदारजी की पहुंच ऊपर तक थी वे थानेदारी जारी रख सकते थे मगर क्यों नहीं रख पाये इसका जवाब किसी के पास नहीं है। दो साल तक लगातार थानेदारी कर चुके खाकीधारी साहब अब कुछ समय जब तक कि उनकी तिकड़म काम नहीं आये तब तक परामर्श देने का ही काम करेंगे।

कहने वाले यह कहने से भी नहीं चूक रहे है कि ऊपर के अधिकारी की छत्र छाया में बीकानेर के वीआईपी थाने में राज करने वाले एसएचओ साहब के अच्छे दिन अब समाप्त हो गए हैं।  हमेशा हेकड़ी में रहने वाले इन महाशय को पिछले दिनों पुलिस कप्तान की ओर से जारी तबादला सूची में आईना दिखा दिया गया है। अपने उऊपर के अधिकारी का हाथ सिर पर होने के कारण ये साहब करीब दो साल तक सिंहासन पर चिपके रहे।

आखिरकार इनके काम से नाखुश होकर पुलिस कप्तान ने ऐसी पटकनी दी कि हाथ से थाना तो गया ही महाश को —- में नौकरी भी करनी पड़ रही है।

नोटबंदी का प्रभाव

नोटबंदी का प्रभाव  यातायात पुलिस वालों पर से अब तक नहीं हटा है। सौ रुपये रिश्वत लेकर भी जप्त किए गए गाड़ी के कागजात गाड़ी मालिक को लौटाने को मजबूर हैं। इतने कम रूपयों के लिये मारामारी तो देखिये कि 100 रुपये की रिश्वत देने वाले ने भी  वीडियो बना लिया और उसे सोशल मीडिया पर जारी कर दिया।

नोटबंदी की मार कहिये या खबरों की आपाधापी इस वायरल वीडियो की चर्चा मीडिया में भी करनी पड़ गई। कौन कहता है रुपये का मूल्य गिर रहा है। नोटबंदी ने सबको रुपये की कीमत बता दी है। बहरहाल इतना सबकुछ होने पर टाइगर ने कहा है कि शिकायतकर्ता सामने आया तो दोषी पुलिस कर्मियों पर कारवाई की जाएगी।

साभार  दैनिक नवज्योति  

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