पंचनामा : उषा जोशी
व्यस्त रहते मंत्रियों के फोन, जांगळ देश की सीटों पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक उम्मीदवार ने मतदाताओं को भरोसा दिया था कि जीतने के बाद वे उनकी हर समस्या का समाधान एक फोन कॉल करते ही हल करने का प्रयास शुरू कर देंगे।
कई भाई लोग उस बात को अब तक लिये घूम रहे हैं, पर जब उनको आवश्यकता पड़ी और उन्होंने अपने क्षेत्र के विधायक जो कुछ तो मंत्री बन गए उनको फोन लगाया तो फोन लगा ही नहीं, फोन बिजी। लोग करे तो क्या करें।
चुनाव के दौरान आज के मंत्री जी हर ऐरे गैरे का फोन ना केवल रीसिव करते थे बल्कि कोई और भी अपने फोन से बात करवाता तो भी कर लेते थे, अब ऐसा नहीं हो पा रहा है।
एक परेशान भाई ने आज के मंत्री जी के चुनाव के दौरान साथ कंधे से कंधा मिलाकर घूमने वालों को फोन लगाया, इनमें से भी कुछ ने फोन नहीं उठाया और कुछ ने तो कहा कि जी अब तो हमारा फोन भी नहीं लगता, क्या करें।
दूसरी और चुनाव के दौरान हर सोशल मीडिया पर एक्टिव दिखते आज के इन कई मंत्रियों के तो चुनाव जीतने के दिन से सोशल मीडिया अकाउंट बंद ही पड़े हैं।
सब कुछ लागे नया नया…
प्रदेश में सरकार नई आ गई। जांगळ प्रदेश में कलक्टर, एसपी व अन्य अधिकारी नये लगा दिये गए। हाथ वालों की सरकार से ‘पूरे घर के बदल डालूंगा’ स्टाइल में सब कुछ बदलना शुरू कर दिया है मगर लोगों को अब भी लग रहा है कि स्थितियां अब तक नहीं बदली।
नये मंत्री, नये अधिकारी रोजाना नई-नई घोषणायें तो कर रहे हैं मगर साकार रूप में ये घोषणायें दिखनी शुरू नहीं हुई हैं।
एक अनुभवी भाई ने इस स्थिति को अधिक स्पष्ट करते हुए बताया कि हमेशा हाकम बदले जाते हैं मातहत नहीं। हमेशा की तरह हाकम अपने मातहतों पर अपना असर जमाने की बजाय थोड़ी से हुल-हुज्जत करने के बाद खुद ही मातहतों के असर में आ जाते हैं।
यही कारण है कि जनता को वही घोड़े वही मैदान वाली स्थिति से हर बार सामना करना पड़ता है।
भाई के अनुसार दिखाने के लिये हाकम मातहतों को कार्रवाई का डर दिखाते हैं मगर आवश्यकता अनुसार मातहत नहीं होने के कारण हाकमों को उन्हीं मातहतों के इशारों पर चलना पड़ता है।
सत्य वचन।
खाकी का एक्सन रियेक्शन
जांगळ देश बीकानेर में खाकी ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है।
यातायात व्यवस्था दुरस्त करने के नाम पर दुकानों के आगे तोड़फोड़ शुरू हो चुकी है। विरोध के बाद यह तोड़फोड़ केवल प्रतिकात्मक रूप में रह गई है।
वहीं पुराने किस्से, इसकी दुकान के आगे तोड़फोड़ की उसके आगे नहीं की।
आधे व्यापारी नाराज, रसूख वाले आधे वयापारी खुश। काम ठप।
अरे खाकी वीरों कार्मिकों की कम संख्या व आवश्यकता वाले स्थानों पर यातायात पुलिसकर्मी की तैनाती नहीं होने से यातायात बिगड़ रहा है।
अवैध कब्जे तो कभी भी अभियान चलाकर हटा लेना। पहले नियमित तैनाती तो तय करो।
होली, दिवाली जैसे त्योहारों से पहले जब हर चौराहे पर तैनात पुलिसकर्मी यातायात नियमों के नाम पर चालान काटता है तो सबको यही लगता है कि इनको अवैध वसूली का टारगेट मिला हुआ है।
ये ही खाकीवीर यदि रोजाना इस काम को करें तो यातायात व्यवस्था स्वत: ही ढर्रे पर आ जाएगी। आमीन।