बीकानेर, (samacharseva.in)। राजस्थान में वेद विद्यालयों की स्थिति बद से बदतर, करपात्री स्वामी निरंजन देव तीर्थ संस्कृत प्रन्यास देवीकुंड सागर बीकानेर के अधिष्ठाता श्रीधर जी ब्रह्मचारी महाराज ने संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला को पत्र लिख कर राज्य के वेद विद्यालयों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने का आग्रह किया है।
अपने पत्र में महाराज श्री ने बताया कि राजस्थान के 22 जिलों में संस्कृत अकादमी के आंशिक आर्थिक सौजन्य से संचालित 25 आवासीय वेद विद्यालयों की स्थिति बद से बदतर हो गई है। वैदिक और सनातन संस्कृति को बढ़ावा देने वाले इन विद्यालयों को सरकार का संरक्षण जरूरी है।
पत्र में कहा गया है कि इन पूर्णकालिक आवासीय वेद विद्यालयों में पीपीपी (पब्लिक,प्राइवेट पार्टनरशिप) के आधार पर राज्य में करीब 486 वेदपाठी विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। जिनके विद्यार्थियों के आवास भोजन, वस्त्र, पुस्तको एवम अध्ययन व्यय सहित विविध व्यय की व्यवस्था स्थानीय भामाशाहों की कतिपय मदद से की जाती हैं जो कि अत्यंत कठिन कार्य है।
छात्रों के आवास, भोजन, वस्त्र सहित अन्य रोजमर्रा के आवर्ती खर्च इतने हैं कि इनका संधारण इस व्यवस्था में लगभग असंभव जैसा हो गया है। इन वेद विद्यालयों को अकादमी द्वारा वर्तमान में प्रदत सहायता इतनी अल्प एवम न्यून है कि इससे कोई भी कार्य व्यवस्थित तरीके से संपादित नहीं हो पाता।
विद्युत, पेयजल, भोजन, वस्त्र, पुस्तकें, वेदादि ग्रन्थ, व्याकरण ग्रन्थ सहित अन्य सामग्री की व्यवस्था अल्प बजट में अत्यंत दुष्कर है। उन्होंनें पत्र में कहा है कि अकादमी द्वारा वर्तमान में वेद विद्यालय में मात्र एक अध्यापक के लिए प्रतिमाह मात्र 8 हजार रुपये का प्रावधान है, छात्रवृत्ति प्रतिछात्र 500 रुपये प्रतिमाह है तथा विविध व्यय के रूप में विद्यालय को 800 रुपये प्रतिमाह मिलते हैं।
जबकि कि वेद विद्यालय में व्यवस्थित अध्ययन अध्यापन के लिए कम से कम 4 योग्य आचार्यों/अध्यापकों की आवश्यकता है। पत्र में कहा गया है कि केंद्रीय संदीपनी राष्टÑीय वेद विद्या प्रतिष्ठान द्वारा वेद विद्यालयों के आचार्यों/अध्यापकों को प्रतिमाह 65 हजार रुपये मानदेय प्रदान किया जाता है।
पत्र में कहा गया है कि वर्तमान में राज्य में योग्य आचार्य/अध्यापक कम से कम 50 हजार रुपये प्रतिमाह से कम में उपलब्ध नहीं हो सकते, इसलिए अध्यापकों के मानदेय के रूप में(प्रति विद्यालय 4 आचार्य/अध्यापक) कम से कम 2 लाख रुपये प्रतिमाह प्रति विद्यालय स्वीकृत किये जाने प्रासंगिक है।
इसी प्रकार वर्तमान में एक छात्र के लिए प्रतिमाह मात्र 500 रुपये की छात्रवृत्ति दी जाती है, इस अल्प राशि से एक विद्यार्थी के लिए एक माह तक भोजन, आवास, विद्युत, पेयजल, पुस्तक इत्यादि की व्यवस्था असंभव है,इसलिए यह राशि न्यूनतम 5 हजार रुपये प्रतिछात्र प्रतिमाह की जानी अत्यंत सामयिक एवम प्रासंगिक बताई गई है।
प्रति विद्यालय विविध व्यय के रूप में 800 रुपये वर्तमान में दिए जाते हैं जो कि आवासीय विद्यालय के लिए ना के बराबर राशि है। चूंकि विद्यालयों में स्टेशनरी, पुस्तकालय, वाचनालय सहित अन्य व्यवस्थाओं का संधारण इसी राशि से किया जाना होता है इसलिए इस राशि को बढ़ाया जा कर कम से कम 50 हजार रुपये प्रति विद्यालय प्रतिमाह किया जाना अत्यंत आवश्यक माना गया है।
पत्र में कहा गया है कि राज्य में वेद,व्याकरण,कर्मकांड एवम धार्मिक प्रयोजनों को साक्षात बनाने वाले हमारे कर्तव्यनिष्ठ वेद विद्यालयों की माली हालत सुधारने के लिए वर्तमान प्रावधानों में परिवर्तन करते हुए नवीन प्रावधान करना अत्यंत आवश्यक एवम समीचीन है।