तमिलनाडु पहुंची राजस्थानी भाषा मान्यता संकल्प यात्रा

The Rajasthani Language Recognition Sankalp Yatra
The Rajasthani Language Recognition Sankalp Yatra

बीकानेर,(samacharseva.in)। बीकानेर की मुक्ति संस्था बीकानेर के तत्वावधान में संचालित राजस्थानी भाषा मान्यता संकल्प यात्रा गुरुवार को तमिलनाडु के रामनगर जिले की तालुका रामेश्वरम् स्थित भारत सेवा आश्रम संघ  पहुँची।  

संकल्प यात्रा के मुख्य अतिथि वैशय समाज इंदौर ईकाई के तहसील अध्यक्ष विजय कुमार मोदी थे राजस्थानी भाषा मान्यता संकल्प यात्रा की अध्यक्षता भगवती ओम पुरोहित  कागद  ने की तथा विशिष्ट अतिथि कोलकाता निवासी शिवकुमार पुरोहित थे। राजस्थानी भाषा मान्यता संकल्प यात्रा के संयोजक कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि वर्तमान समय में देश की एकता-अखंडता के लिए भारतीय भाषाओं को सम्मान मिलना ही चाहिए।  

जोशी ने कहा कि पूरे विश्व में 10 करोड़ से अधिक राजस्थानी भाषा बोलने और लिखने वाले लोग हैं उन्होंने कहा कि  व्यवसायिक प्रगति और समृद्ध संस्कृति में राजस्थानी भाषा और संस्कृति का उल्लेखनीय योगदान होने के बावजूद संविधान की आठवीं अनुसूची में राजस्थानी भाषा शामिल नहीं है। जोशी ने तमिलनाडु सहित देश के अलग-अलग प्रदेशों के  सैकड़ों लोगों को प्रेरित करते हुए राजस्थानी भाषा मान्यता के लिए सहयोग का आव्हान किया।

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता आर. भास्करन ने कहा कि भारत जैसे विविधता वाले देश की विभिन्न भाषाओं और खासकर राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं करना आश्चर्यचकित करता है। एक और तमिलनाडु युवा शिक्षाविद् राधाकृष्णन ने कहा कि राजस्थान के हजारों की संख्या में राजस्थानी भाषा के लोग तमिलनाडु आते हैं राजस्थान की संस्कृति आत्मीयता से आकर्षित करती है।  

हम सभी युवा पीढ़ी के साथी राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए भारत सरकार से माँग करते हैं। इस अवसर पर मुक्ति संस्था के अध्यक्ष एडवोकेट हीरालाल हर्ष ने कहा कि राजस्थान सरकार ने 2003 में ही सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजा हुआ है जबकि भारत सरकार केवल कमेटीया बनाकर टालमटोल कर रही है।

हर्ष ने कहा कि राजस्थानी भाषा मान्यता संकल्प यात्रा राजस्थान एवं पश्चिम बंगाल के उपरांत तमिलनाडु पहुंची है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि विजय मोदी ने कहा कि मध्य प्रदेश के लोग राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए सर्मथन करते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भगवती ओम पुरोहित कागद ने कहा कि सैकड़ों राजस्थानी भाषा के विद्वान मान्यता की माँग करते हुए बिना मान्यता लिए उपर चले गए।

उन्होंने कहा कि अब भी अगर केन्द्र सरकार ने इस पर विचार नहीं किया तो महिलाओं को बड़ा आन्दोलन चलाना होगा। राजस्थानी भाषा मान्यता संकल्प यात्रा को शिक्षाविद डॉ. चेतना आचार्य और समाजशास्त्री आशा जोशी ने भी सम्बोधित किया।

कार्यक्रम में अमरनाथ व्यास, विजयलक्ष्मी, विजय जोशी, एन. डी. रंगा,  मोहनलाल आचार्य सहित अनेक लोगों ने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर तमिलनाडु के स्थानीय निवासियों के अतिरिक्त चैनई,  केरल, पश्चिम बंगाल, झारखंड एवं मालवा के सैकड़ों लोगों ने राजस्थानी भाषा की मान्यता का संकल्प लिया।