राजस्थानी का मान सम्मान हम सबकी जिम्मेदारी : मधु आचार्य आशावादी

Respect of Rajasthani is the responsibility of all of us: Madhu Acharya Ashawadi
Respect of Rajasthani is the responsibility of all of us: Madhu Acharya Ashawadi

नई शिक्षा नीति व मातृभाषा उन्नयन पर अंतरराष्‍ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

बीकानेर, (समाचार सेवा)। राजस्थानी का मान सम्मान हम सबकी जिम्मेदारी : मधु आचार्य आशावादी, केंद्रीय साहित्य अकादेमी की राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य  आशावादी ने कहा कि राजस्थानी का मान सम्मान हम सबकी जिम्मेदारी है।

आचार्य शनिवार को महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के राजस्थानी विभाग एवं आइक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय नई शिक्षा नीति व मातृभाषा उन्नयन पर अंतरराष्‍ट्रीय संगोष्ठी के प्रथम सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थान राजस्थानी को उचित स्थान दिलाने में अग्रणी साबित हो सकते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विवि कुलपति प्रो. विनोद कुमार सिंह ने राजस्थानी भाषा को अपनाने और उसे पाठ्यक्रमों में समुचित स्थान दिलवाने की बात कही। वेबिनार में पेरिस फ्रांस से डॉ. सरस्वती जोशी ने भी भाग सुरेश कुमार अग्रवाल ने कहा कि हमें राजस्थानी के तौर तरीकों को अपनाना होगा।

महाराजा गंगासिंह विश्‍वविधालय की राजस्‍थानी विभाग की
महाराजा गंगासिंह विश्‍वविधालय की राजस्‍थानी विभाग की प्रभारी डॉ. मेघना शर्मा

आयोजन सचिव तथा विवि में राजस्थानी विभाग की प्रभारी डॉ. मेघना शर्मा ने बताया कि संगोष्ठी में राजस्थानी भाषा के अनेक शिक्षाविद, राजस्थानी मान्यता आंदोलन आधारित संस्थाओं के पदाधिकारी, चिंतक-विचारक व समाजसेवियों ने अपनी बात रखी। वेबिनार में राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण व्यास ने राज्य व केंद्र सरकार से राजस्थानी की मान्यता की बात व्यक्तिगत रूप से उठाने की बात कही।

जनार्दन राय नागर विद्यापीठ के डॉ राजेंद्र बारहठ ने कहा कि नई शिक्षा नीति के माध्यम से राजस्थानी को मान्यता मिलने की राह प्रशस्त हुई है। कोलकाता के चिंतक विचारक जयप्रकाश सेठिया ने कन्हैयालाल सेठिया की राजस्थानी कविता की पंक्तियां मायड़ भाषा के बिना कैसा राजस्थान सुनाकर अपनी बात रखी। जोधपुर के डॉ. गजे सिंह राजपुरोहित ने मातृभाषा उन्नयन और नई शिक्षा नीति के तकनीकी पक्ष पर जोर दिया।

मरू देश संस्थान सुजानगढ़ के अध्यक्ष डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने कहा कि राजस्थानी बोलने की हिचकिचाहट को हमें दूर करना होगा तभी यह भाषा जनसामान्य की भाषा बन पाएगी। राजस्थानी मोटियार परिषद के प्रदेशाध्यक्ष डॉ शिव दान सिंह जोलावास ने कहा कि राजस्थानी भाषा की लेखन पद्धतियां विगत, टीका आदि विरासत को सुरक्षित रखना हमारा प्राथमिक दायित्व है।

वेबिनार में साहित्यकार मोनिका गौड़, डॉ लक्ष्मीकांत व्यास, उदयपुर के डॉ. सुरेश सालवी, डॉ गौरीशंकर प्रजापत, राजेश चौधरी डॉ. नमामी शंकर आचार्य ने भी विचार रखे।