पैपा प्रदेश भर में चलायेगी स्वच्छ शिक्षा अभियान

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Papa will run across the state, clean education campaign

बीकानेर, (समाचार सेवा)। पैपा प्रदेश भर में चलायेगी स्वच्छ शिक्षा अभियान, प्राईवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूट्स प्रोसपैरिटी एलायंस (पैपा) ने प्रदेश में स्वच्छ शिक्षा अभियान शुरू किया है। संस्था के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल ने बुधवार को रेलवे स्टेशन रोड स्थित होटल राजमहल में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि इस अभियान के माध्यम से त्रिस्तरीय मुहिम द्वारा सरकार, शिक्षा विभाग और आम जनता में जागरूकता लाने के सार्थक और सकारात्मक प्रयास किए जाएंगे।

खैरीवाल के अनुसार आज शिक्षा की गंगा भी कुछ लालची लोगों की वजह से मैली हो गई है। ऐेसे में शिक्षा की गंगा को भी स्वच्छ करना आवश्यक हो गया है। उन्होंने बताया कि संस्था के इस मिशन को राज्य के सभी निजी स्कूलों के संगठनों ने समर्थन दिया है। निजी स्कूलों के राष्‍ट्रीय संगठन नीसा  ने भी इस मुहिम में सहभागी बनने की घोषणा की है। खैरीवाल ने बताया कि इस  मुहिम के तहत स्कूल और कोचिंग सेंटर में सरकार के भेदभाव को उजागर कर शिक्षा बचाने के लिए प्रयास किए जाएंगे।

दूसरी मुहिम के अंतर्गत अवैधानिक काम में लिप्त स्कूल्स के संचालकों को समझाकर अवैधानिक काम बंद करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ सरकारी स्कूलों द्वारा भी कोचिंग सेंटर्स के साथ किए जाने वाले एडजस्टमेंट के खेल को उजागर किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस अभियान  की सबसे महत्वपूर्ण मुहिम अभिभावक-चेतना का है। खैरीवाल ने बताया कि अभियान के लिये सभी आवश्यक तैयारियां कर ली गई हैं।

इसी सप्ताह मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री, प्रमुख शिक्षा शासन सचिव, शिक्षा निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) एवम्  निदेशक (प्रारंभिक शिक्षा) को ज्ञापन दिया जाएगा।  एक सवाल के जवाब में खैरीवाल ने कहा कि यदि बिना मान्यता प्राप्त किए स्कूल नहीं खुल सकते हैं तो फिर गैर मान्यता प्राप्त कोचिंग क्यों। उन्होंने कहा कि एक निजी स्कूल शुरू करने के लिए अनगिनत औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं। है लेकिन कोचिंग सेंटर के लिए कोई भी नियम कानून नहीं है।

खैरीवाल ने बताया कि स्कूल्स आरटीई और फीस एक्ट के कारण कम और अवैध कोचिंग क्लासेज के कारण ज्यादा बंद हो रही हैं। खैरीवाल ने बताया कि आज प्रदेश में लगभग 45 हजार निजी स्कूलों में तकरीबन एक करोड़ विद्यार्थी पढ़ रहे हैं और लगभग सात लाख से अधिक शैक्षणिक और अन्य कर्मचारियों को रोजगार इन स्कूलों में मिला हुआ है। उन्होंने बताया कि सरकारी शिक्षण संस्थाओं में एक स्टूडेंट पर 35 से 40 हजार रुपये का खर्च आ रहा है।

जबकि निजी स्कूलों में तीन हजार रुपए से दस हजार रुपये में बहुत बेहतरीन और उत्कृष्ट शिक्षा दी जा रही है। इसके अलावा प्रत्येक निजी स्कूल द्वारा समाज के विभिन्न अत्यंत जरूरतमंद बच्चों को निशुल्क शिक्षा भी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि समाज में निजी स्कूलों के योगदान को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। प्रेसवार्ता में घनश्याम साध, कृष्ण कुमार स्वामी, रमेश बालेचा, डॉ. अभयसिंह टाक, रमेश सैनी, प्रभुदयाल गहलोत, तरविंद्रसिंह कपूर, अशोक उपाध्याय, अमिताभ हर्ष, हरविंद्र सिंह कपूर इत्यादि गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के संचालक उपस्थित थे।