नोखा की निलंबित बीडीओ साजिया तब्‍बसुम ने सभी आरोप नकारे

Nokha's suspended BDO Sajia Tabb Sum denies all allegations

बीकानेर, (samacharseva.in)। नोखा की निलंबित बीडीओ साजिया तब्‍बसुम ने सभी आरोप नकारे, राज्‍य के ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग ने बीकानेर जिले की नोखा पंचायत समिति की विकास अधिकारी साजिया तबस्सुम निलंबित को निलंबित कर दिया है। उधर, निलंबन की खबर मिलने के बाद समाचार सेवा से बातचीत में साजिया तब्‍बसुम ने अपने उपर लगे सारे आरोप नकार दिये और कहा कि विभाग के इस निर्णय से उनके साथ अन्‍याय हुआ है। सुश्री साजिया के अनुसार विभागीय जांच का निर्णय आये बिना तथा उसका पक्ष सुने बिना निलंबन का निर्णय लिया गया है।

जानकारी के अनुसार नोखा बीडीओ साजिया तब्‍बसुम पर नोखा के कुछ सरपंचों ने अनियमितताओं के आरोप लगाते हुए 7 सितंबर को ही मुख्‍यमंत्री से जयपुर में मुलाकात की थी। सीएम से की गई इस मुलाकात में खाजूवाला के विधायक गोविन्‍द चौहान, उप जिला प्रमुख इन्‍दू देवी तर्ड भी शामिल रहे। नोखा की विभिन्‍न पंचायतों के सरंपचों की मुख्‍यमंत्री से मुलाकात के बाद ग्रामीण विकास एंव पंचायतीराज विभाग ने बीडीओ के खिलाफ जांच के आदेश बीकानेर कलक्‍टर को दिये थे। बीकानेर कलक्‍टर ने जिला परिषद के सीईओ की अगुवाई में जांच समिति बना दी थी। इस जांच समिति की रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं हुई थी कि नोखा बीडीओ को विभाग ने सोमवार 14 सितंबर को जयपुर से ही निलंबित करने के आदेश जारी कर दिये।

वहीं नोखा बी‍डीओ के समर्थन के कुछ लोगों का कहना है कि नोखा बीडीओ को राजनीतिक साजिश का शिकार बनाया गया है। उसके खिलाफ अनियमितताओं की सारी शिकायतें झूठी हैं। साजिया के पक्ष के लोगों का दावा है कि निलंबन का फैसला इकतरफा लिया गया है। साजिया के पक्ष को सुना ही नहीं गया है। जिसके खिलाफ शिकायत की गई हो उसको सुने बिना फैसला लेना गलत है।

उन्‍होंने इसे इतन गलत निर्णय, तानाशाही व तुगलकी फरमान, एक पक्षीय फैसला बताया है। इन लोगों का दावा है कि सरपंचों के पास बीडीओ पर लगाये गए अनियमितताओ के आरोपों का कोई प्रूफ तक नहीं है। केवल राजनीतिक दबाव के चलते यह फैसला लिया गया है। सूत्रों के अनुसार नोखा बीडीओ साजिया तब्‍बसुम को राज्‍य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे रामेश्‍वर डूडी व पूर्व विधायक कन्‍हैयालाल झंवर गुट की सहमति के बाद नोखा लगाया गया था। इन दोनों नेताओं की वर्तमान में सीएमओ तक पहुंच कम हो गई है और डूडी विरोधी कांग्रेस के नेता इसी का फायदा उठा रहे हैं।