नगर विकास न्यास का हाई मास्ट लाइट घोटाला उजागर

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बीकानेर (समाचार सेवा)। नगर विकास न्यास का हाई मास्ट लाइट घोटाला उजागर। नगर विकास न्यास यूआईटी का हाई मास्ट लाइट घोटाला सामने आया है। इसमें राज कोष को 12 लाख 04 हजार 720/- रूपये का नुकसान पहुंचाया गया है।

पुलिस जांच में इस घोटाले में शामिल ठेकेदार व यूआईटी के एक एईएन व कुछ तकनीकी अधिकारियों के खिलाफ रुपये का चूना लगाया जाना बताया गया है।

पुलिस अधीक्षक द्वारा की गई जांच में आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी सहित विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज करने की सिफारिश की गई है।

DAINIK NAVJYOTI BIKANER 31 AUGUST 2018
DAINIK NAVJYOTI BIKANER 31 AUGUST 2018

आरटीआई कार्यकर्ता एडवोकेट गणेशदान बीठू ने एसपी की रिपोर्ट के आधार पर जिला कलक्टर सतर्कता को ज्ञापन देकर आरोपियों के खिलाफ तत्काल एफ.आई.आर. दर्ज कर गिरफ्तार करने की मांग की है।

बीठू ने सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी में पाया कि आरोपियों ने नगर विकास न्यास बीकानेर से बिना कार्य किए फर्जी एम.बी. एवं बिल तैयार कर लाखों रूपये का फर्जी भुगतान उठाया गया है।

संबंधित अधिषाषी अभियंता द्वारा कार्य पूर्णता प्रमाण-पत्र जारी किए बिना ही उक्त तीनों तकनीकी अधिकारियों एवं ठेकेदार द्वारा षड़यंत्रपूर्वक फर्जी बिल एवं एम.बी. तैयार कर राजकोष से 12 लाख 04 हजार 720/- रूपये का फर्जी भुगतान उठा लिया गया है।

इस मामले की जिला पुलिस अधीक्षक द्वारा की गई जांच में आरोपियों ठेकेदार विनोद कुमावत, अधिषाषी अभियंता प्रेम वशिष्ठ, सहायक अभियंता महावीर प्रसाद टाक एवं कनष्ठि अभियंता प्रवीण कुमावत के विरूद्ध कूटरचित दस्तावेज तैयार कर राजकोष से लाखों रूपये का फर्जी भुगतान उठाने का मामला दर्ज करने की सिफारिश की गई है।

आरटीआई कार्यकर्ता बीठू ने बताया कि इस मामले में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या-2 बीकानेर द्वारा दिए गए आदेश तथा कलक्टर, (सतर्कता) बीकानेर द्वारा दिए गए आदेशानुसार प्रकरण की जांच जिला पुलिस अधीक्षक बीकानेर द्वारा की गई है।

बीठू ने बताया कि जिला पुलिस अधीक्षक बीकानेर ने अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट कलक्टर (सतर्कता) गत माह सौंप दी है।

इस जांच में पुलिस अधीक्षक ने यह तथ्य स्पष्ट रूप से अंकित किया है कि कनिष्ठ अभियंता एवं सहायक अभियंता द्वारा ठेकेदार के साथ सांठ-गांठ कर फर्जी एम.बी. एवं बिल तैयार किए गए है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि मौके पर कार्य 4अक्टूबर 2015 तक चालू रहा है। जिला पुलिस अधीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में राजकीय हित में चारों आरोपियों के विरूद्ध एफ.आई.आर. दर्ज करने की अनुशंषा की है।