गैर ब्राह्मण दावेदारों के नाम से कतरा रही है भाजपा व कांग्रेस

ELECTION 2018 bkn

बीकानेर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र

(विशेष संवाददाता)

जयपुर (समाचार सेवा)। गैर ब्राह्मण दावेदारों के नाम से कतरा रही है भाजपा व कांग्रेस, चुनाव की तारीख जैसे जैसे नज़दीक आती जा रही है वैसे वैसे दोनों राजनीतिक दलों के बीकानेर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के टिकट के दावेदारों की सक्रियता ने पार्टियों के कर्ताधर्ताओ की  नींद उड़ाई हुई है।

पार्टी के रणनीतिकार जहां जातिगत वोट बैंक को ध्यान में रखकर टिकट देने के मूड में है वहीं उन कार्यकर्ताओं को भी संतुष्ट रखना चाहते हैं जो अन्य समाजों से आते है ।

गौरतलब  है कि इस क्षेत्र में ब्राह्मणों की संख्या जीत का आंकड़ा तय करती है।

राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस विरोधी लहर में एक बार महबूब अली का जीतना अपवाद ही माना जाएगा।

इस क्षेत्र के चुनाव व परिणामों पर नजर रखने वालों का कहना है ब्राह्मण दावेदारों को छोड़कर जब जब भी पार्टियों ने गैर ब्राह्मण  उम्मीदवार उतार कर प्रयोग किए हैं उन्हें मुंह की खानी पड़ी है।

इस विधानसभा सीट से कद्दावर नेता मानिक चंद सुराना बीडी कल्ला के सामने चुनाव हार चुके हैं।

वहीं भाजपा ने भी एक बार महापौर के चुनाव में अपना दाव गोपाल गहलोत पर खेला था लेकिन ब्राह्मण भवानी शंकर शर्मा के सामने कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था।

कई दमदार निर्दलियों ने भी इस चुनावी मैदान में अपना दमखम दिखाने की कोशिश की लेकिन नतीजा निराशाजनक रहा।

इस कारण दोनों प्रमुख पार्टियों की पहली पसंद ब्राह्मण कैंडिडेट है।

भाजपा में जहां वर्तमान विधायक गोपाल जोशी के चुनाव न लड़ने की चर्चाओं के बीच  इस क्षेत्र में बतौर प्रत्याशी कई नेताओं व कार्यकर्ताओं ने इस सीट पर अपनी दावेदारी जताई है।

पार्टी सूत्रों की माने तो भाजपा मुख्यालय में इस बात पर ज्यादा एक्सरसाइज हो रही है कि कौन जातिगत हिसाब से इस सीट को वापस भाजपा के खाते में ला सकता है।

सूत्र बताते है कि भाजपा आलाकमान ने गुप्त सर्वे करवाकर दावेदारों की सामाजिक हैसियत,  आर्थिक स्थिति व सार्वजनिक जीवन में रहते हुए प्रशासनिक पकड़ को मापदंडों पर लिया है।

भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए राजस्थान में किसी भी प्रकार की रिस्क नहीं लेने की स्थिति में नहीं है।

टिकट ना मिलने पर विद्रोह की आशंका को भी पार्टी हल्के से नहीं ले रही है। इसके लिए बाकायदा नेताओं का संभाग वार पैनल बनाया गया है जो टिकट की घोषणा के बाद असंतुष्ट दावेदारों को संतुष्ट करने की एक्सरसाइज करेगा।

इसके लिए भी हर पैनल में अलग-अलग जातियों के नेताओं को स्थान दिया गया है।  जिससे वह अपने सजातीय कार्यकर्ताओं को संतुष्ट कर सकें।