विश्व बंधुत्व के सेतु थे डॉ. टैस्सीटोरी – रंगा

Dr. Tassitori was the bridge of world brotherhood - Ranga
Dr. Tassitori was the bridge of world brotherhood - Ranga

बीकानेर, (समाचार सेवा) राजस्थानी युवा लेखक संघ के प्रदेश अध्‍यक्ष व वरिष्ठ कवि-कथाकार कमल रंगा ने कहा कि महान् इटालियन विद्वान, राजस्थानी पुरोधा, डॉ. लुईजि पिऔ टैस्सीटोरी विश्व बंधुत्व के सेतु थे। रंगा शुक्रवार को डॉ. टैस्सीटोरी की 100वीं पुण्यतिथि पर राजस्थानी युवा लेखक संघ एवं प्रज्ञालय संस्थान द्वारा डॉ. टैस्सीटोरी समाधि स्थल पर आयोजित होने वाले समारोह के प्रथम दिन ‘पुष्पांजलि’ और ‘विचारांजलि’ कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि डॉ. टैस्‍सी टौरी ने सभी सीमाओं को लांघकर राजस्थानी भाषा, साहित्य, संस्कृति और पुरातत्त्व के लिए समर्पित भाव से काम किया। वे बहुभाषाविद् एवं भाषा वैज्ञानिक थे साथ ही उन्होंने कुशल सम्पादन करते हुए राजस्थानी के महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों को प्रकाश में लाने का कार्य किया। ऐसी महान् विभूति को नमन करना अपनी विरासत को याद करना है। उनके कार्यों को जन-जन तक पहुंचाना एक सृजनात्मक दायित्व निर्वहन करना है। इससे पूर्व सभी साहित्यकारों एवं अन्य कला से जुड़े गणमान्यों आदि ने डॉ. टैस्सीटोरी के समाधि स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया।

कार्यक्रम का दूसरे भाग में डॉ. टैस्सीटोरी के व्यक्तित्त्व और कृतित्त्व पर ‘विचारांजलि’ का वरिष्ठ रचनाकार नरपतसिंह सांखला की अध्यक्षता में हुआ। जिसमें वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब ने राजस्थानी मान्यता के सवाल को उठाते हुए डॉ. टैस्सीटोरी को याद किया। वहीं वरिष्ठ कथाकार मोहन थानवी ने डॉ. टैस्सीटोरी के नाम से एक सांस्कृतिक और साहित्यिक भवन की मांग रखी। इतिहासविद् डॉ. फारूक चौहान ने कहा कि डॉ. टैस्सीटोरी गंभीर पुरातत्त्वविद् थे। डॉ. प्रकाशचन्द्र वर्मा ने डॉ. टैस्सीटोरी समाधि-स्थल की समुचित व्यवस्थाओं की मांग उठाई।

कवियत्री डॉ. मनीषा आर्य सोनी ने कहा कि राजस्थानी की मान्यता मिलना ही डॉ. टैस्सीटोरी को सच्‍ची श्रद्धांजलि होगी। संस्कृतिकर्मी शिवशंकर भादाणी ने कहा कि डॉ. टैस्सीटोरी महामानव थे और राजस्थानी संस्कृति के गहरे उपासक थे। वरिष्ठ कवियत्री मधुरिमा सिंह ने उन्हें नमन करते हुए कहा कि राजस्थानी मान्यता आंदोलन को ऐसे आयोजनों से गति मिलेगी और साथ ही हमें संस्था के साथ जुड़कर राजस्थानी भाषा आंदोलन में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। शायर कासिम बीकानेरी ने कहा कि डॉ. टैस्सीटोरी सगो अर्थों में राजस्थानी के गंभीर अध्येता थे।

रंगकर्मी मीनू गौड़ ने उनकी सेवाओं को रेखांकित करते हुए उन्हें बहुआयामी बताया। वहीं श्रीमती कृष्णा वर्मा ने उन्हें समर्थ आलोचक बताया। डॉ. तुलसीराम मोदी ने उन्हें अ छा व्याकरणविद् कहा तो कवि गिरिराज पारीक ने उन्हें भारतीय आत्मा बताते हुए उन्हें नमन् किया। कवि मईनुद्दीन कोहरी ने उनके कार्यों का स्मरण किया। इस अवसर पर शायर माजिद खां गौरी, संस्कृतिकर्मी मुनीन्द्र अग्निहोत्री, घनश्याम सिंह, बी.डी. भादाणी ने डॉ. टैस्सीटोरी के कार्यों को याद करते हुए उन्हें नमन् किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ रचनाकार नरपतसिंह सांखला ने डॉ. टैस्सीटोरी की महत्त्वपूर्ण पुरातत्त्व सेवाओं के साथ-साथ उनके समर्पित राजस्थानी कार्य को स्मरण करते हुए उन्हें नमन किया। इस अवसर पर कवि व्यास योगेश राजस्थानी, संजय, जगदीश, विवेक व्यास, हनिरारायण आचार्य, अशोक शर्मा, भवानीसिंह, कार्तिक मोदी, सिराजुद्दीन भुट्टा आदि सहित सभी राजस्थानी समर्थकों ने डॉ. टैस्सीटोरी के कार्यों को नमन करते हुए उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

संचालन शायर कासिम बीकानेरी ने किया जबकि सभी का आभार व्यंग्यकार आत्माराम भाटी ने ज्ञापित किया।