आचार्य ज्योति मित्र
जमाना गया गांधीवाद, समाजवाद, मार्क्सवाद, लेनिनवाद, लोहियावाद, अधिनायकवाद, साम्यवाद या पूंजीवाद का अब आप कहेंगे ये राष्ट्रवाद का जमाना है तो भैया आप जरूरत से ज्यादा आशावाद में जी रहे हैं, आपके इन सब वादों पर भारी पड़ रहा है पॉलिटिक्स में पप्पूवाद।
इस इक्कीसवीं सदी में यदि किसी वाद का बोलबाला है तो वो है पप्पूवाद। इतिहास...