चाहे तू आये ना आये, हम करेंगे इंतजार..

PANCHNAMA - USHA JOSHI DAINIK NAV JYOTI BIKANER

पंचनामा : उषा जोशी

चाहे तू आये ना आये, हम करेंगे इंतजार..

सुना है जांगळ देश निवासी बड़े मंत्रीजी जी जब अपने इलाके में होते हैं तो उन्हें स्थानीय कार्यक्रमों भाग लेने के दौरान सांस लेने की भी फुर्सत नहीं मिलती है।

लोग भी उनको अपने कार्यक्रमों में अंत तक इंतजार करते रहते हैं, मंत्री देरी से आये तो सहन भी किया जा सकता है मगर आये ही नहीं तो क्या, ऐसे में  अनेक लोग अब मंत्रीजी से नाराज होने लगे हैं।

लोगों का कहना है कि मंत्रियों के समारोहो में आने की लेट लतीफी तो काफी सुनी है मगर मंत्री इलाके में रहते हुए भी किसी तय कार्यक्रम में ना आये तो बात तो बननी है।

अब मंत्रीजी कि स्थिति यह है कि जिस कार्यक्रम के लिये आधा घंटा दिया वहां आयोजक, संचालक, प्रचारक, विचारक सभी तीन घंटे तक भाषण देते रहते हैं ऐसे में मंत्रीजी को अनेक बार नजदीकी लोगों के प्रेशर की वजह से रुकना पड़ ही जाता है।

सुनने में तो यह भी आया है कि मंत्रीजी क्षेत्र में आते हैं तो इतने कार्यक्रमों की स्वीकृति दे देते हैं जिसका हिसाब किताब रखना तो दूर शहर में रहते हुए कोई मंत्रीजी की एक्जेट लोकेशन तथा अगला पिछला कार्यक्रम तक नहीं बता सकता है।

आजा रे अब मेरा दिल पुकारा..

कार्यक्रम में अतिथि बनने की स्वीकृति देकर भी नहीं पहुंचने की बिमारी केवल मंत्रीजी को ही नहीं, जांगळ देश के बड़े अधिकारी भी ऐसे ही स्वाइन फ्लू की चपेट में हैं।

ये अधिकारीजी इन दिनों समाज सेवा के कार्यों, सरकारी कर्मचारियों की खेर खबर लेने तथा मीडिया में छाये रहने के कारण चर्चा में हैं।

ये साहब तो इतने व्यस्त हैं कि राष्‍ट्रीय पर्व पर इनके अधीन के महकमे का परंपरागत आयोजन भी स्थगित हो जाता है।

ये जरूर है कि बड़े साहब के डर से लोग अस्पताल, स्कूल, निगम, यूआईटी आदि सरकारी कार्यालयों में समय पर पहुंचने लगे है।

तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम..

विधानसभा चुनाव के दौरान जिला, संंभाग, प्रदेश व राष्‍ट्रीय  स्तर पर छाये रहे एक दबंग नेता इन दिनों राजनीतिक तस्वीर से बिलकुल गायब ही हो गए हैं।

हां वे यदा कदा किसी कार्यक्रम में दिख जाते हैं मगर उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यक्रमों से इतनी दूरी बना ली है कि साहब के दर्शनलाभ भी दुभर हो गए हैं।

वैसे प्रदेश की बागडोर संभालने की तैयारी में अपने क्षेत्र में ताबड़तोड़ प्रयास करने के बावजूद खुद की सीट नहीं निकाल पाये।

सुना है नेजाती अब बड़े चुनाव में किसी दूसरे इलाके से भाग्य आजमाने के प्रयास में व्यस्त हैं।